छोड़ राहों में तन्हा न हमें जाइये
हम हैं तड़़पे बहुत और न तड़पाइये
हालत पर हमारी कुछ रहम खाइये
छोड़ कर इस तरह हमको न जाइये
कितने मौसम गुजरे हुई न खबर
घूमते ही रहे हम इधर से उधर
फिर भी मंजिल की न पाई डगर
कुछ पल को सही पर ठहर जाइये
चल दिए तुम हमसे मुंह मोड़ कर
फिर मिलोगे कहाँ किस मोड़ पर
जा रहे हो कहाँ हमको यूँ छोड़ कर
आरज़ू दिल की अब न ठुकराइये
इस जहाँ में जो बिछुड़ा वो मिलता नहीं
फूल मुरझा गया तो फिर खिलता नहीं
आप खुशबू हैं गुलशन की न जाइये
अपना ही घर समझकर ठहर जाइये-
29 MAR 2020 AT 21:58