छोड अपनी गलियां हम गाँव से दूर निकल आए
पीछे मुड़कर जब देखा तो देखकर हम घबराए
कोई भी पीछे न था बस अपना साया नजर आया
दिखाई दी हमें जो राह बस उस पर ही चले आए
याद आते हैं मंजर वो जो देते थे हमको खुशियाँ
यादों की लहरों का वो समंदर हम साथ ले आए
न जाने कितने वो सपने जो कभी हम देखा करते थे
हम आंखों में उन सपनों की गठरी भी साथ ले आए
याद अब भी हैं वो बगिया जो हमको खूब भाती थी
हम मस्ती का वो आलम सोच कर फिर मुस्कराए
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2 JUN 2020 AT 13:32