14 NOV 2020 AT 15:02

भीतर है अंधेरा ,दिया बाहर जला रहे हो
ये कैसी बेबसी है तुम किससे छुपा रहे हो
बेचैनी को मन की ऐसे कब तक छिपाओगे
कब तक तुम ऐसे अपने आप को बहलाओगे

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