11 MAY 2020 AT 21:27

बड़ी कोशिशों के बाद भी सफलता हाथ नहीं आती है
मैं समझ नहीं पाता हूँ कमी आखिर कहाँ रह जाती है
कई बार मंजिल के बहुत करीब पहुँच कर भी लौट आए
उम्मीद की शमां उलझनों के थपेड़े में बुझ ही जाती है

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