27 APR 2020 AT 14:18

अपने अंदर झांककर देखा तो अलग ही मंजर नजर आया
जाने कितने सपनो और अरमानों की चिता को जलता पाया
भूली बिसरी यादों पर पड़ी धूल की चादर दिखाई दी मुझे
जब मैंने इसे हटाया तो मैं अपना अतीत साफ देख पाया
हम क्या थे और क्या चाहते थे और क्या बनकर रह गए
हालात की आंधी में टूटा ख्वाब हमें फिर से दिख पाया
कुछ खूबसूरत बीते पल भी दिल के कोने में मुस्कुरा रहे थे
मैंने इन अहसासों को फिर लौट आने का इंतजार करते पाया

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