अंधेरे का ये सफर था कोई न मेरे साथ था
राह में गिरता उठता मै थोड़ा सा उदास था
चल रहा था फिर भी उम्मीद की आस लिए
एक जुगनू अंधेरे में बढा़ रहा मेरा विश्वास था
नन्हे से जीव ने मुझे जीवन की राह दिखाया
मन को न दिया भटकने मेरा हौसला बढ़ाया
अंधेरे का सफर अब मैं बखूबी कर लेता हूँ
जुगनू के साथ अपने साहस को परख लेता हूँ
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