अंधेरा है दिल में एक चिराग तुम जला दो न
लगता नहीं है दिल कहीं नई चाह तुम जगा दो न
परछाईयो को भी गिला है हमसे, ये भी साथ नहीं
तन्हाई ने घेर रखा हमको ,मुक्ति इससे दिला दो न
बुझी बुझी सी आस है, ठहरा सा लगता सब कुछ
मन की पतंग को आसमां में दूर तक उड़ा दो न
बिखरे पड़े हैं ख्वाब जीवन की हकीकत से दूर
ये ख्वाब कभी सच हो जाएं जुगत कोई लगा दो न-
20 AUG 2020 AT 12:05