1 FEB 2020 AT 16:19

आंखों में थे आंसू फिर भी वो मुस्करा रही थी
खुशी थी या गम वो इसे समझ न पा रही थी
हम उसकी उन आँखों से जानना चाहते थे
वो कहना जो चाहती थी बता न पा रही थी
आज उसकी बेटी उसके घर से जा रही थी
जमाने की एक रस्म वो निभाने जा रही थी
पाल पोस कर जिस बेटी को बड़ा किया था
वो आज अपना आंगन सूना कर जा रही थी
जिंदगी आज उसे अजीब नजर आ रही थी
अपने आंसुओं को वो रोक न पा रही थी
कितने अरमान और कष्ट से उसने उसे पाला था
आज उसे छोड़ नई दुनिया में जा रही थी
कल तक जिसके साथ उसका हर लम्हा गुजरता था
आज उन लम्हो का अतीत छोड़े जा रही थी

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