6 NOV 2020 AT 12:35

आइना देखकर खुद को न पहचान पाए हम
उम्र गुजरती रही अहसास भी न कर पाए हम
देखा है आज आइना मुद्दत के बाद हमने
चेहरे की झुर्रियाँ बता रही दूर निकल आए हम
संवारते थे कभी चेहरा आइने से रुबरु होकर
आज उसी से चेहरा छुपाते नजर आए हम
दिल के भावों को आसानी से छुपा लेते थे
चेहरे पर पड़ी लकीरों को छुपा नहीं पाए हम
संवारते थे अपने बालों को कभी बड़ी शिद्दत से
आज उन्ही बालों में कहीं उलझे नजर आए हम

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