मैं तेरा वो आशिक हूं
जिसके लिए तेरा प्यार मृगतृष्णा है
दूर से लगता है कि शायद प्यास बुझ जायेगी
पास आता हूं तो लगता है डूब जाऊंगा-
मैं खुशनसीब हूं या मेरी आंखों पे चाहतों का पहरा है
कोई कह रहा है कि वो आज भी मेरा है-
कुछ भी नहीं था मेरे पास तेरे आने से पहले
कम से कम अब तेरी यादें तो हैं तेरे जाने से पहले
था राज एक मैंने तुझे बताया नहीं कभी
एक दफा और लुटा था मैं तेरे यहां आने से पहले-
वो आए और कहकर चले गए
दो लफ्जों में मुझे झकझोर कर चले गए
इश्क समझता था जिसको मैं अभी तक
वो उम्रभर का 'ठ़ट्टा' करके चले गए-
सुईं घूमी और दूसरा पहर जा लगा
जो था खास वो अजनबी जा बना
था बादशाह उसके प्यार में कल तक
वो आज उन्हीं गलियों में फकीर जा बना-
मकबरे और भी हैं आगरा में
तुम ताज ही क्यों निहारा करते हो
वो हर रोज किसी गैर की बाहों में गुजारता है सर्द रातें
जिसकी याद में तुम इन रातों को बिताया करते हो
-
Main kaha ankh 'sajji' fadaki hai meri
Ki sanjog hai
O kehndi kanjara 'khabbi' fadaki h meri
Milne da jog hai-
मंजिल बननी नहीं तू मेरी ये पता है मुझको
मोहब्बत करने का मन तो है मगर खोने का डर लगता है तुझको
दोस्त बनकर निभा दे हो सके तो इस जन्म में
तेरा साथ 'राज' हर जन्म में खुदा से मंगना है मुझको
-
आखिर गुजर गए वो लम्हे जिनमें अहसास थे तेरे
वो जल गए पन्ने जिनमें अल्फाज थे तेरे
किसने किया ये सब पता नहीं मुझको
वक्त से पहले बुझ गए थे वो दिए जिनपे नाम थे तेरे-
अगर किराए पे होता ये मकां उसका
तो कबका बदल दिया होता मैं ठिकां अपना
गम इस बात का है कि वो बसाता भी नहीं है
भला इतना है कि कुछ छुपाता भी नहीं है।।-