याद है तुम्हें क़यामत का पहला दिन,
जब हम आख़िरी बार मिले थे
रिश्ते में बची गुंजाइशों की ख़ातिर,
मैंने तुम्हें थोड़ा रुकने को कहा,
तब तुमने नज़रें चुराकर जवाब मे बेंतिहा कह दिया...
मेरा उधड़ा प्यार देखकर भी तुम्हारे लब सिले थे,
क़यामत का वो पहला दिन था,
जब हम आख़िरी बार मिले थे...
- तनिश
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