rajni kant   (Rj)
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खुद के बारे में कुछ जानता नही

ये शौख किसी और के लिए रखा हूं
Joined 13 June 2019


खुद के बारे में कुछ जानता नही

ये शौख किसी और के लिए रखा हूं
Joined 13 June 2019
12 FEB 2024 AT 9:32

ye jo halki halki muskan si chare pr chayi h ..iski wajah khi tm to nhi..
ye jo sukoon si tanhai h ...iski wajah khi tm to nhi...
ye jo ankho m nyi chamk si aai h ...iski wajh khi tm to nhi..
ye jo aasma k badlo m teri parchai h ...iski wajah khi tm to nhi..
ye jo meri sari khushiya...tujhme hi samai h... iski wajh khi tm to nhi...
Haa tm hi ho iski wajh ...ye baat mujhe ab samajh m aai h ..
Ab tere saath hi ho meri zindagi ki har safar ...yhi har baar maine iswar se manai h..

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31 DEC 2023 AT 22:10

आप आये इस साल
बहुत खुसिया भी मिला इस साल

बस यही दुआ है रब से
की हर साल हो आप के साथ

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14 SEP 2023 AT 15:50



दुनिया क्या है?
इक जंगल है

और तुम क्या हो?
पेड़ समझ लो

और वो क्या है?
इक राही है

क्या सोचा है?
उस से मुहब्बत

क्या करते हो?
उस से मुहब्बत

मतलब पेशा?
उस से मुहब्बत

इस के अलावा?
उस से मुहब्बत

उससे मुहब्बत........

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19 APR 2023 AT 1:40

तेरे होने से आती है खुशबू सुकून की
तेरे बगैर
ना धुप है और ना कही छाँव

मेरे तमाम तकलीफों का वो इकलौता इलाज़ हो तुम
तेरे बगैर
उजड़ी हुई मंजर और तकलीफो मे जकड़ा पाव

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14 DEC 2022 AT 13:06

तुमने जब अपनी हथली को मेरी हथली मे दी थी
ऐसा लगा सारी दुनिया की खुशी मुझे मे पिरोइ थी।

मै हुस्न देखता रहा
तुम शर्मा कर जब नज़र झुकाई थी
ऐसा लगा चाँद तुम्हारी परछाई थी।

जब जुल्फो को तुमने
अपने हाथो से सवारा थी ।
ऐसा लगा ।
घंघोर बादल से सूरज का लालिमा निकल आई थी।

जब तुम ने अपने हाथो से मुझे खिलाई थी
ऐसा लगा मानो दुनिया का सारा व्यंजनों का
स्वाद भी उस के सामने फीकी नज़र आई थी।







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21 AUG 2022 AT 21:33

तुम्हारी ये आँखे
और ये शहर की नमी
हमे रोक रहा है दूर जाने से ।

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24 MAY 2022 AT 2:12

उसे जाना था बहुत आगे

कुछ खो कर कुछ छोड़ कर।

जैसे झाड़ना पड़ता है
उड़ान से पहले बाज को बेकर परे।

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22 FEB 2022 AT 21:50

मंजिल तो मिलेगी
राहो मे भटक कर ही सही।


मुक़ाम तो उसे नही मिला
जो घर से निकला ही नही।

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18 JAN 2022 AT 23:43

हाथ खाली है तो क्या हुआ
लकीरे अभी बाकी है न

मिल न सका जमी पे कुछ तो
आसमा अभी बाकी है न

किस्मत मे नही तो क्या हुआ
मेहनत तो मेरा जागीर है न

पंख नही तो क्या हुआ
हौसला अभी बाकी है न

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13 JAN 2022 AT 8:27

सूरज छुपाये तुम ही तो बैठी हो

फिर आँसुओ से खुद को भीगा क्यो रही हो।

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