बना कर आशिक मुझे छोड़ गया वो,
गम के रास्ते की ओर मुझे मोड़ गया वो,
तुम छोड़ तो नही दोगे ये वादा लिया,
और वादे के साथ दिल भी तोड़ गया वो।-
उनकी नियत न थी मानने की हमे,
और उनके इंतजार में हम खुदको नाराज कर बैठे।-
कर देते हो बयां रो कर हर दर्द तुम,
उन लडको का क्या जो रो भी नहीं पाते,
और तुम लेते हो रातो के मजे बड़े बेशर्मी से,
यहा हालात ये है की वो सो भी नही पाते,
किसी और के हो भी नही पाते।
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खाली समय में कोइ याद आ रहा है मुझे,
इश्क में गम ए जुदाई सता रहा है मुझे,
मैं समझता था चलो कोई तो समझता है मुझे,
मेरी ये समझ ही अब बहुत रुला रहा है मुझे।-
तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नही लगता,
ये सुरज और चाँद भी सच्चा नही लगता,
क्या हमारे प्यार का हिसाब करोगी तुम?
अगर नही तो ये बताओ।
मेरे जिन्दगी की किताब बनोगी तुम।
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अब ना ख्वाहिश किसी को पाने की है,
ना आरजू किसी से दिल लगाने की है,
बहूत मिन्नतो के बाद ये पलकें सुखी है,
ना चाहत अब इसे भिगाने की है।
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एक एक फसाने को खामोशी से पढता गया मैं ,
हर दर्द को सहकर भी जिन्दगी में आगे बढता गया मैं।-
आज निकले हैं घर से ये सोच कर
कि आज कुछ खोना नहीं है,
जो कर लिया था इश्क! अब
उस इश्क के लिए रोना नही है।-
दुर्योधन के दुस्साहस का परिणाम तुम भूल गए,
कुरुक्षेत्र के महाभारत वो दृश्य तुम भूल गए,
नारी के सम्मान में हुआ युद्ध भी तुम भूल गए,
अगर तुम घृतरास्त्र तुम भीष्म पितामह तुम गुरु द्रोण सा मौन रहे ,
इनका जो अंजाम हुआ लगता सब तुम भूल गए ,
वही भूमि है वही भारत है कृष्ण की वाणी तुम भूल गए।
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नारी के अपमान पर कब तक मौन रहोगे तुम?
दरिंदो के दुस्साहस पर कब तक मौन रहोगे तुम?
बदलो तुम संविधान पुराना जिसमे न हो नारी का सम्मान,
मौत मिले हर बलात्कारी को जो करे नारी का अपमान,
भूल गए इतिहास पुराना इन्द्रप्रष्ठ भी मौन था,
वीरो की उस महासभा में बोलो बचा वहाँ कौन था?
अब जो तुम कुछ न बदले प्रतिकार लिया जाएगा,
बिना कृष्ण इस कलयुग को महाभारत दिया जाएगा।-