आज अचानक भाई ने बोला,
अब तेरे फोटो अच्छे नहीं आते।
लगता है जैसे, बुढ़ा गई है,
बालों पर, सफेदी छा गई है।।
मन कुछ चौंका,कुछ गुस्साया।
बोला देख तूने खुद का, क्या हाल बनाया?
झट से गई फिर मैं, शीशे के आगे ।
जोड़ने अतीत के, कुछ टूटे धागे ।।
आइने के सामने आज सोचा, कुछ वक्त मैं भी बिता लूं ।
खुली, अनसुलझी सी, अपनी जुल्फों को सुलझा लूं ।।
घर के चूल्हे-चौके के धुएं में, झुलसी- मुरझाई सूरत को ।
थोड़े प्यार, थोड़े ध्यान से, फिर पहले सा चमका लूं ।।
वक्त था वो भी एक जब, घंटों यूं ही हो जाता करते थे।
कभी उबटन, कभी फेशियल, कभी फेस पैक लगाया करते थे।।
आंखों पर काले घेरे अब, झुर्रियां अलग कहानी कहती हैं ।
क्या तुझ में तू, बाकी है अब भी? या सौत कोई अब रहती है?
परत हटा अंधियारे की अब,मौसम भी सुहाना है बाहर ।
वक्त को दे मात तू अब, बन नई-नवेली दुल्हन सी फिर ।।
खुद का ध्यान रखना भी, तेरी ही जिम्मेदारी है ।
औरों के साथ, वक्त खुद को भी दे , तू नए युग की नारी है ।।
बालों को कर कलर थोड़ा, चेहरे को थोड़ा तू चमका ।
थोड़ा योगा, ध्यान थोड़ा, थोड़ा लाएगा फर्क बड़ा ।।
वादा कर ले आज ये खुद से, अब कभी ना तू मुरझाएगी ।
तन- मन का ध्यान रखेगी खुद, अब कभी ना सफेदी छाएगी ।।
बच्चे भी खुश हो जाएंगे, मां का देख नया अवतार ।
खुद से प्यार करोगे तो, दे पाओगे औरों को दुगना प्यार ।।
-