कुछ दूरियां तो कुछ नजदीकियां
कुछ खोओगे तो कुछ पाओगे
कुछ दोगे तो कुछ मिलेगा
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Rajni
(Dabar)
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Joined 23 April 2019
1 JUN 2022 AT 21:21
22 JAN 2022 AT 8:59
बह गए ख्वाब आसूं में और आसूं बारिश की बूंद में
फिर नजर आई चाय और चाय में नजर आई जिन्दगी
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13 JAN 2022 AT 17:38
बहुत हो गया अल्फ़ाजो का क़हर
अब ज़रा जज्बातों पर रोशनी डालो
तब शायद समझ आए ये खामोशियाँ
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17 DEC 2021 AT 18:11
जब राहों में नहीं थी,
तब भी थी नजदीकीयाँ
अब राहों में हो,
तब भी क्यों है दूरियाँ
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28 NOV 2021 AT 22:36
यूँ तो हर शख्स मोहब्बत के हाथों इंतिखाब होना चाहता हैं
पर खास है वो जिनका इंतिखाब मोहब्बत खुद करती हैं
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