Rajni   (Dabar)
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Open book (Encrypted)
Joined 23 April 2019


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1 JUN 2022 AT 21:21

कुछ दूरियां तो कुछ नजदीकियां
कुछ खोओगे तो कुछ पाओगे
कुछ दोगे तो कुछ मिलेगा
🕶

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9 APR 2022 AT 21:57

कोई अलफ़ाज़ नहीं तुम, जिसे मै लिखूँ
तुम तो एहसास हो, जो बस महसूस होता है

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6 APR 2022 AT 21:41

एतबार तुम्हारा
मुझे चाहिए एतवार तुम्हारा

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31 MAR 2022 AT 22:39

डरती हूंँ अब ख्यालों से
क्योंकि अब इनमें तुम्हारी परवाह नहीं

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1 MAR 2022 AT 20:27

हम बच्चे हैं नादान
बड़े होंगे तब संभालेंगे शिव भगवान

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23 JAN 2022 AT 22:32

Dost

It's neither a word nor a relation.
It's an emotion.

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22 JAN 2022 AT 8:59

बह गए ख्वाब आसूं में और आसूं बारिश की बूंद में
फिर नजर आई चाय और चाय में नजर आई जिन्दगी

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13 JAN 2022 AT 17:38

बहुत हो गया अल्फ़ाजो का क़हर
अब ज़रा जज्बातों पर रोशनी डालो
तब शायद समझ आए ये खामोशियाँ

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17 DEC 2021 AT 18:11

जब राहों में नहीं थी,
तब भी थी नजदीकीयाँ
अब राहों में हो,
तब भी क्यों है दूरियाँ

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28 NOV 2021 AT 22:36

यूँ तो हर शख्स मोहब्बत के हाथों इंतिखाब होना चाहता हैं
पर खास है वो जिनका इंतिखाब मोहब्बत खुद करती हैं

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