RAJNEESH KUSHWAHA   (आर के राज)
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Joined 28 February 2020


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Joined 28 February 2020
26 AUG 2022 AT 21:18

जिधर आप चले , कदम बढ़ ही जाते है
चांदनी को हमेशा जुगनू ही भाते है
मेहनत का भरोसा कुछ रवि पर भी छोड़ दो
उसके आते ही तो अंधियारे दूर भाग जाते है ।

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1 MAY 2022 AT 10:27

'मै' और 'तुम' का सम्बन्ध गुलाब की सुवास जैसा है
जिस बन्धन में बँधकर सुगंधित नगरी सभी को पावन कर सके।

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1 APR 2022 AT 6:05

बोल के बोल भी जब बेबोल लगने लगे
तब स्वर की नही कलम की स्याही की जरूरत पड़ती है ।

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31 MAR 2022 AT 6:15

स्वप्न मे वह प्रेयसी अदृश्य बन कर आ ही जाती है ,
जिसे मन के मोतियों जैसे प्रेम किया हो ; धागे के जैसे समर्पण व्यक्त किया हो ।

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11 FEB 2022 AT 8:26

Simpleness , desertification of his feelings, deep himself & herself and recall back up time.

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11 FEB 2022 AT 8:23

Life ia that place where
we compromise and
handle situations,
troubles with change
opportunities. Integrity
and Empathy should
to be goal of my
morality and conduct.

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11 FEB 2022 AT 8:15

जहां मन को अमूर्त शक्ति का संगम मिलता है
भावनाओ का समर्पण - प्रत्यर्पण होता है

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10 FEB 2022 AT 6:45

अक्सर बिखर जाते है मोती माला टूटने के बाद
कसूर हर बार धागे का नही होता ।।

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7 FEB 2022 AT 8:16

मेरे साथ उंगली पकड़कर चलो , चलना सीख जाओगे
रही बात मंजिल की वो हर दरम्यान पूरी होगी ।

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10 JAN 2022 AT 9:06

दूरियो के फासले का बेहतरीन इलाज Persuasion या Communication ही हो सकता है ।
जो फासले को पास ले आने का ब्रह्मास्त्र इस धरा की सर्वकालिक प्रक्रिया है।

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