जिधर आप चले , कदम बढ़ ही जाते है
चांदनी को हमेशा जुगनू ही भाते है
मेहनत का भरोसा कुछ रवि पर भी छोड़ दो
उसके आते ही तो अंधियारे दूर भाग जाते है ।-
'मै' और 'तुम' का सम्बन्ध गुलाब की सुवास जैसा है
जिस बन्धन में बँधकर सुगंधित नगरी सभी को पावन कर सके।-
बोल के बोल भी जब बेबोल लगने लगे
तब स्वर की नही कलम की स्याही की जरूरत पड़ती है ।-
स्वप्न मे वह प्रेयसी अदृश्य बन कर आ ही जाती है ,
जिसे मन के मोतियों जैसे प्रेम किया हो ; धागे के जैसे समर्पण व्यक्त किया हो ।
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Simpleness , desertification of his feelings, deep himself & herself and recall back up time.
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Life ia that place where
we compromise and
handle situations,
troubles with change
opportunities. Integrity
and Empathy should
to be goal of my
morality and conduct.-
जहां मन को अमूर्त शक्ति का संगम मिलता है
भावनाओ का समर्पण - प्रत्यर्पण होता है-
अक्सर बिखर जाते है मोती माला टूटने के बाद
कसूर हर बार धागे का नही होता ।।-
मेरे साथ उंगली पकड़कर चलो , चलना सीख जाओगे
रही बात मंजिल की वो हर दरम्यान पूरी होगी ।-
दूरियो के फासले का बेहतरीन इलाज Persuasion या Communication ही हो सकता है ।
जो फासले को पास ले आने का ब्रह्मास्त्र इस धरा की सर्वकालिक प्रक्रिया है।-