वो जलते रहे मेरी शोहरत से मेरी , उम्र भर
जिन्हें दर्जा हमने गुरु का दे रखा था ॥-
&
Life
"30 बरस का ज्योतिपुंज था ,
ज्ञान पुष्प का सुरभि कुंज था !
मस्तक पर अरुणिम वह रेखा ,
चकित रह गया जिसने देखा !
शब्द सुदर्शन धारी था वह
देवदूत अवतारी था वह ।।-
अब मैं क्या लिखूं अपने बारे में ?
कभी मिलना इस अंतरजाल से बाहर ,
तो पढ़ लेना मुझे !!-
"मुझ सा पंडित
मुझ सा जोधा ,
और न कोई दूजा है ।
अपने शीशों को
काट काट ,
मैंने शंकर को पूजा है ।।
- लंकाधिपति रावण-
खांसी की Glycodine हो तुम
सर दर्द की crocine हो तुम
Vomiting की Avanine हो तुम
Jaundice की Sorbiline हो तुम ,
इसीलिए तो करता हूं इतनी मोहब्बत तुमसे
क्यूंकि इतनी हसीन हो तुम
दिल की medicine हो तुम ।❤️
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शिव स्वरूप ओजश्वी , तेजस्वी मन काम ।
जा पर विपदा परत है , तै आवहि शिव धाम ।।❤️-
जलाती है ज्वाला डमरू जहां ,
मृदंग करते मंगल गान है ।
अभिनंदन करती भस्म वहां ,
जहां सजते भोलेनाथ है ।❤️-