Rajneesh Bharti   (Rajneesh Raahi 'मुदित')
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Keep on doing mistakes....🤗🤗🤗
Joined 2 October 2020


Keep on doing mistakes....🤗🤗🤗
Joined 2 October 2020
30 OCT 2023 AT 21:18

ऐसा नहीं कि घृणा है तुमसे
या कि कोई नाराज़गी है तुमसे।
मन बस शान्त हो गया है
ठहर गया है अगर गया है।

न गिराव है न उठाव है
अचानक जैसे सबकुछ जम गया है
मेरे लिए।
कुछ मुझमें हो गया है खो गया है
तुम्हारे लिए।

ज़मीन सुघर गया है बाग़ उघड़ गया है
कुछ भी हो पर अभिव्यंजति नहीं

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19 MAR 2023 AT 20:41

खिले चेहरे में जो खाली है।
कौन जाने उसमें किसकी निशानी है?

भिंगती सब के उर की मानी है।
छिपी उसमें किसीकी नादानी है!!

तुम्हारे भावों में जो पानी है।
जाने कितनी ही नदियों सी कहानी है।।

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23 JAN 2023 AT 7:20

23.01.20
विदा कर रहा हूँ तुम्हें अब

रहते रहते जहाँ मेरे
तुम न आए जिस मकां में मेरे
द्वार भी स्वागत का वहाँ
सजा है सजा ही रहेगा सदा

समझ उनको किसी और का
घाव खुद में कर रहा हूँ
जाते जाते मकां मेरी
खुद से विदा कर रहा हूँ

एहसास जिएँ जो सारे जहाँ
मैं वहीं उन्हें बंद कर रहा हूँ

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23 JAN 2023 AT 6:42

23.01.2020

थीं नहीं मगर मकान वो मेरे
छोड़ उनको आगे बढ़ रहा हूँ
समेट सारे तन सा सामान
मकान से मन ढो रहा हूँ

सजाए जिसमें हर कोने को मैंने
कभी तुम्हारे आने की राह में
मानकर इसे सिर्फ तुम्हारा ही
जा रहा हूँ ज़माने में कहीं

बन चुका हूँ जो बन्जारा कोई
है तो कोई और ठिकाना नहीं
मिट्टी मिट्टी हीं रहना है अब
रास्ते रास्ते ही ठहरना है अब

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15 JAN 2023 AT 18:06

23.01.20
विदा कर रहा हूँ तुम्हें अब
अब मैं नींद खोल रहा हूँ

सो रहा था मैं भावों में तेरे
अब मैं आँखे मीच रहा हूँ

थी कोई न नर्म राह बीच में
खींच खुद को बदल रहा हूँ

थे ईरादें अटल जितने भी मेरे
टाल उनको आगे बढ़ रहा हूँ

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1 JAN 2023 AT 11:55

नवनीत नित्य नित्य हो तुम्हारा
नववर्ष सहर्ष सरस बीते तुम्हारा

पुष्प पावन नूतन सी मेरे मन में
बाग बाग खिली सी रहो सदा
मानस मीत जग संबंधों की कहानी में
मिठास सी पात्र निभाती रहो सदा

इस जगह जिस जगह तुम रहो
या याद भी जाये उस जगह
सब जगह प्यारी पल सी रहो
तुम खुश रहो तुम खुश रहो।

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22 NOV 2022 AT 18:40

20.04.20
सवाल दर सवाल
हर सवाल
सवाल होते नहीं।

कुछ तो यूँ भी
पूछ लिए जाते हैं
कि बस...
पूछने की बात थी
और तो बात न थी।।

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19 NOV 2022 AT 22:43

Na toh tumhe paane ka lakshya h
Aur na toh tumhe khone ka darr h
Bs jo h usme ho jana h

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17 NOV 2022 AT 21:10

20.04.20
सवाल दर सवाल
हर सवाल
सवाल होते नहीं।

कुछ तो यूँ भी
पूछ लिए जाते हैं
कि बस...
पूछने की बात थी
और तो बात न थी।।

उसका न उसमें
कोई मन था
और न...
अपनेपन की आह थी।।

भाव विरक्त जैसे
हृदय कहीं सोया था
सो बस...
पूछने की बात थी
सो पूछ लिया गया।।

मैं भी कितना पागल हूँ
कि ये जानते हुए भी
कि सवाल झूठ का है
फिर भी उत्तर मैंने
सच्चा-सच्चा ही दे दिया।।

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7 OCT 2022 AT 18:38

26.01.2020

तुम्हारे भावों में जो पानी है
जाने कितनी ही नदियों सी कहानी है।

कौन जाने किस लिए इस घड़ी
व्याकुल मन तुम्हारा है।

इस धरा पे जो भी खोना है
तुम्हारे होने में सब होना है।

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