ये साल खत्म होने को हैं चाहो तो माफ कर दो उनको जिससे आप प्यार तो करते हैं लेकिन बात नही करते और बिना बात किये रह भी नही सकते, खत्म कर दो सारे गीले शिकवे जिसे पूरे साल अपने दिल मे रखकर जी रहे थे, बात करो उससे और फिर से शुरुआत करो जिससे इस साल आपको ढेरो खुशियां मिले..
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Quote~ rajmohan-singh
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पराए आँसुओ से आँख को नम कर रहा हूँ मैं,
भरोसा आजकल खुद पर भी कुछ कम कर रहा हूँ मैं!
बड़ी मुश्किल से जागी थी ज़माने की निगाओ में,
उसी उम्मीद के मरने का मातम कर रहा हूँ मैं!!-
प्यार सबको आजमाता है!
16 हजार रानियों का राजा, एक राधा के लिए तरस जाता है!!-
करोगी मोहब्बत तो ये घर भी छोड़ना होगा,
हमारे साथ तुम्हें ये शहर भी छोड़ना होगा,
टूट जाएगा जब घर वालो से रिश्ता ,
माँ के हाथों से निवालों का रिश्ता,
अंजान शहर में ये बुखार भी मर जायेगा,
भुख लगेगी तो ये प्यार भी मर जायेगा,
बुलाएंगे घर वाले तो अपने घर लौट जाओगी,
हमे ठुकरा कर अपने शहर लौट जाओगी,
हमपर आएगा तुम्हें बहकाने का इल्जाम,
लड़की पर नही आएगा भगाने का इल्जाम,
फस जाएंगे हम जमाने के चक्कर मे,
जवानी निकल जायेगी थाने के चक्कर मे,
फिर तू अपने बयान से पलट जाएगी,
मेरी जिंदगी जेल में ही सड़ जाएगी,
उम्र गुजरे यू जेल में ऐसी नौबत क्यू आये,
हम चाहते ही नही हमको मोहब्बत हो जाये
कुँवर राजमोहन सिंह राज-
कितनी खुश होती होगी राधा जब कान्हा उने याद करते होंगे
कितना दुःख होता होगा रुक्मिणी को जब कान्हा राधा को याद करते होंगे-
बॉट दिया इस धरती को क्या चाँद सितारों का होगा,
उन नदियों के कुछ नाम रखे बहती धारा का क्या होगा,
शिव की गंगा भी पानी है आवेजमजम भी पानी है,
मुल्ला भी पिये पण्डित भी पिये पानी का मजहब क्या होगा,
और इन फ़िरक़ा परस्तो से पूछो क्या सूरज अलग बनाओगे,
एक हवा में सास है सबकी क्या हवा भी नई चलाओगे,
नस्लो का करे जो बंटवारा रहबर वो कौम का ढोंगी है,
क्या खुदा ने मन्दिर तोड़ा था या राम ने मस्जिद तोड़ी है!
कुँवर राजमोहन सिंह राज-
किसी ने एक सवाल पूछ कर रुला दिया तुम दोनों यार कब से बात नही करते..??
खामोशी ने जब से हम दोनों पर काबू पा लिया प्यार तो करते रहे पर तब से बात नही करते.!-
अन्दर ही अन्दर मैं शान्त हो रहा हूँ,
लगता है मैं भी धीरे धीरे सुशांत हो रहा हूँ!
कुँवर राजमोहन सिंह राज-
आज मैने उसको देखा वो दूर खड़ी मुस्कुरा रही थी,
वो देख तो हमको रही थी लेकिन सच छुपा रही थी!
वो आई नही मंजिल से नीचे हमसे मिलने...
क्योकि~
क्योकि वो हमसे ही शर्मा रही थी...
कुँवर राजमोहन सिंह राज-
उसकी डोली उठी,मेरा जनाजा उठा!
फूल उसपे भी थे,फूल मुझपे भी थे!
महफ़िल वहाँ भी,थी लोग यहाँ भी थे!
उनका हँसना वहाँ,इनका रोना यहाँ!
सहेलियां उसकी भी थी,दोस्त मेरे भी थे!
पंडित वहाँ भी थे,पंडित यहाँ भी थे!
वो सज के गई,मुझे सजाया गया!
वो उठ के गई,मुझे उठाया गया!
फर्क सिर्फ इतना सा था मेरे दोस्त~
उसे अपनाया गया,मुझे दफनाया गया!!
कुँवर राजमोहन सिंह राज-