उनको गुरुर है तो होने दो
भगवान थोड़ी है।
ये सब महज प्रशासन है
कोई आजीवन मेहमान थोड़ी है।
आवाज तो उठेगी खिलाफत मे
सबकी मुह मे उनकी जुबान थोड़ी है।
तरफदारी करेंगे मिलीभगत हो जिनकी
की हमारा कोई बिकाऊ ईमान थोड़ी है।
जिनमें रहते है रहनुमा वो सरकारी आशियाने है
किसी के जाती मकान थोड़ी है।
सभी का काम है शामिल यहाँ की तररकी मे
किसी के बाप का संस्थान थोड़ी है।
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