एक झूठा इंसान ,झूठ की चादर ओढ़,झूठ के रास्ते पर, झूठे लोगों के साथ झूठ की दुनियां में चल पड़ा ।।😇😇
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सपने तोड़ कर दूसरों के तुम ,उसके साथ अपना घर बसाओगे?
दूसरों की तो छोड़ो ,क्या तुम खुद की नजरों में भी गिर जाओगे?-
आंसू सिर्फ आंखों के मोहताज नहीं होते ।
अगर रुलाने वाला अपना हो तो ,
दिल से भी निकल जाते है ।।-
मेरे होठों की खामोशी ओर गहरी हो गई ,
जब सांसों ने मुझसे मेरी खामोशी का राज पूछा ।।-
पागल था मैं जो समुद्र में अपनी कस्ती उतार बैठा ,
हौंसले बुलन्द जरूर थे मेरे ,पर गद्दारों की महफिल में जा बैठा ।
जिसे महफूज रखना चाहा पूरी दुनियां से ।
कमबख्त उसी से अपना कत्ल करा बैठा ।।🥺-
उसके झूठ और बहाने इतने अमीर थे ,कि अपने सच से उन्हें खरीद ना पाया ।
हर एक इक्का गुलाम था उसका, मैं बादशाह होके भी कुछ ना कर पाया ।
शब्दों का खंजर कुछ इस तरह उसने मेरे सीने में उतारा ,जख्मी भी हो गया और मर भी ना पाया ।
हर बददुआ कबूल है मुझे उसकी,पर अफसोस उसकी तस्वीर फिर भी ना जला पाया।-
एक माला बनाने में नाकाम रहा मैं , क्योंकि ।
मेरी माला का धागा बिल्कुल कच्चा निकला ।।-