वो हम पर इलज़ाम लगाते हैं ! कि आप लफ्ज़ों से खेलते हैं, जनाब आप तो लोगों के दिलों से खेलते हैं उसका क्या...।।।
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क्या यूं ही बिछड़ना 🥺 ज़रूरी था,
तेरा यूं मुंह मोड़ के जाना जरुरी था..।।
माना थी मेरी गलती क्या इतनी सी बात पे,
तेरा यूं तन्हा 💔छोड़ के जाना जरूरी था...।।-
Ye rista ab uljha hi rhe to jyda achha h merii jaan, agr sulajh gya to Qyamat a jayegi....🔥— % &
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आजकल के युवाओं की कहानी कुछ इस तरह से हैं ,
की उन्हे दूसरो के घर पे किरायेदार बन कर रहना पड़ता हैं और अपने ही घर में मेहमान बन कर रहना पड़ता हैं.. ।।
और यही नहीं उन परिंदो को मंजिल की तलाश में अपनो♥️ से दूर रहना पड़ता हैं..।
उनका दिन गुजरता है उन चार दीवारों के बीच में और रातें गुजराती हैं तन्हा, उन किताबों के बीच में..
आजकल के युवाओं की कहानी कुछ इस तरह से हैं ,
तकलीफ उन्हे भी होती हैं अपनो♥️से दूर रहकर , क्या करे मजबूर हैं घुट घुट के जीते सुकून की तलाश में..।
क्या करें मजबूर हैं मंजिल की तलाश में ....।।— % &-
यूं अल्फाज़🌼 नहीं निकलते दर्द लिखने के लिए, "साहेब" दर्द 🥺से गुजरना पड़ता हैं दर्द लिखने के लिए...।। — % &
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मोहब्बत बुरी है ' बुरी है ♥️ मोहब्बत ...!
लोग कहें जा रहे हैं और फ़िर भी किए जा रहे हैं..।।
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Dard tab aur badh jata hai, saheb jab December ke mahine me dil💔 tut jata hai...💯🥺
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लगा कर आदत मोहब्बत♥️ की अब वो कहते हैं , कि समझा करो वक्त नहीं हैं मेरे पास.....।।।
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