पूरे हुए 75..चलो 76 हुआ जाए।।क्यों कहें कि सबसे बेहतर हैं हम..क्यों न और बेहतर हुआ जाए।। -
पूरे हुए 75..चलो 76 हुआ जाए।।क्यों कहें कि सबसे बेहतर हैं हम..क्यों न और बेहतर हुआ जाए।।
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तुझको समझने में ज़माने लग गए।अब न बचा बहाना कोई..तुझ पे मेरे सारे बहाने लग गए। -
तुझको समझने में ज़माने लग गए।अब न बचा बहाना कोई..तुझ पे मेरे सारे बहाने लग गए।
मेरी भी है, बस तेरी ज़मी थोड़ी है।कमियाँ और भी हैं मुझमें..बस एक तेरी कमीं थोड़ी है।दिल की गहराईयां तूने कहाँ देखी।दिल में एक समँदर भी है..आंखोँ में बस नमी थोड़ी है।इस बड़े से आसमाँ में सब अकेले हैं।चाँद भी है तन्हां सा..यहाँ तन्हा बस हमीं थोड़ी हैं। -
मेरी भी है, बस तेरी ज़मी थोड़ी है।कमियाँ और भी हैं मुझमें..बस एक तेरी कमीं थोड़ी है।दिल की गहराईयां तूने कहाँ देखी।दिल में एक समँदर भी है..आंखोँ में बस नमी थोड़ी है।इस बड़े से आसमाँ में सब अकेले हैं।चाँद भी है तन्हां सा..यहाँ तन्हा बस हमीं थोड़ी हैं।
जाने कब पहुँचूँगा।मैं अभी बहुत दूर हूँ खुद से। -
जाने कब पहुँचूँगा।मैं अभी बहुत दूर हूँ खुद से।
योरकोट तुम..योरकोट तुम।हर अहसास को बयाँ करते होंठ तुम।खुशी किसी की, किसी की चोट तुम।योरकोट तुम..योरकोट तुम।हर रंग तुम में खेलता है..कभी दर्द कभी हँसी में लोटपोट तुम।योरकोट तुम..योरकोट तुम -
योरकोट तुम..योरकोट तुम।हर अहसास को बयाँ करते होंठ तुम।खुशी किसी की, किसी की चोट तुम।योरकोट तुम..योरकोट तुम।हर रंग तुम में खेलता है..कभी दर्द कभी हँसी में लोटपोट तुम।योरकोट तुम..योरकोट तुम
रोता है दिल मगर..अब आँखें नम नहीं होती।।वो रोज़ गुजरता तो है यादों से।पर ये दूरियां ख़तम नहीं होती।। -
रोता है दिल मगर..अब आँखें नम नहीं होती।।वो रोज़ गुजरता तो है यादों से।पर ये दूरियां ख़तम नहीं होती।।
ख़ुद से रुठ के ख़ुद को मनाया मैंने।कुछ इस तरह तन्हाई को जलाया मैंने।।दिल आज था जश्न मनाने का बहुत।गुज़रे वक़्त से यादों को बुलाया मैंने।। -
ख़ुद से रुठ के ख़ुद को मनाया मैंने।कुछ इस तरह तन्हाई को जलाया मैंने।।दिल आज था जश्न मनाने का बहुत।गुज़रे वक़्त से यादों को बुलाया मैंने।।
वो निकल गया पिंजरे से।पर दिल से पिंजरा गया नहीं।।जाने कहाँ गया वो छोड़ के।पर दिल से ज़रा गया नहीं।।वो सावन तो गुज़र गया कब का।पर इन आँखों से हरा गया नहीं।। -
वो निकल गया पिंजरे से।पर दिल से पिंजरा गया नहीं।।जाने कहाँ गया वो छोड़ के।पर दिल से ज़रा गया नहीं।।वो सावन तो गुज़र गया कब का।पर इन आँखों से हरा गया नहीं।।
तो सुबह अधूरी, शाम अधूरी सी होती।ये बहाना न होता तो एक दूरी सी होती। -
तो सुबह अधूरी, शाम अधूरी सी होती।ये बहाना न होता तो एक दूरी सी होती।
क़िस्सा वो पुराना फिऱ नया कर रहा है।मेरा नाम लेकर अपना दर्द बयाँ कर रहा है।। -
क़िस्सा वो पुराना फिऱ नया कर रहा है।मेरा नाम लेकर अपना दर्द बयाँ कर रहा है।।