Rajib Singh   (rajib1603)
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"न कंचित् शाश्वतम्“ ✨🕊️
Joined 17 October 2023


"न कंचित् शाश्वतम्“ ✨🕊️
Joined 17 October 2023
2 HOURS AGO

तुम्हारे जाने के बाद मैने उतना ही लिखा
जितना मैं खुद बचा था आधा अधूरा सा
ना जाने कितनी ख्वाहिशें चली गई तुम्हारे साथ साथ
ना जाने कितनी उम्मीद अधूरी रह गई तुम्हारे बगैर
वो सपने जो साथ देखे थे एक होने के सब टूट गए बिखर गए
उन तमाम ख्वाहिशों को उन तमाम उम्मीदों को और उन तमाम सपनो को लिखने के शब्द नहीं रहे मेरे पास
ना जाने क्यों अभी तक भी
तुम्हारे चले जाने के सच को क्यू नही मान पा रहा
ना जाने क्यू अभी भी तुम्हारे लौट आने के इंतजार में रहता हूं
ना जाने क्यू अभी भी तुम्हारा खयाल
हर वक्त मेरे जहन में चलता रहता है
सोचता हूं की कब तक तुम्हारे चले जाने के सच को ना मान कर कब तक अपने आप को झूठी तसल्ली देता रहूंगा कब तक अपने आप को उन तमाम सवालातो से बचाता रहूंगा जो तुम्हारे बाद अपने आप से करने पड़ेंगे मुझे और जिनका जवाब नही होगा 
कब तलक तुम्हारे चले जाने को झूठ मान कर बैठा रहूंगा
डर इस बात का भी बड़ा लगता है की जिस दिन ये दिल और दिमाग ने स्वीकार कर लिया की तुम अब नही रहे जिंदगी में तो क्या हालत होगी
कुछ सवाल जो खुद से ही पूछने पड़ेंगे तुम्हारे चले जाने के
क्या खुद से भी नजर मिला पाऊंगा मैं
क्या समझा पाऊंगा अपने आप को तुम्हारे जाने के सच के बारे में
मैं जो सबको अच्छे और बुरे वक्त में संभाल लेता हूं 
क्या खुद को भी संभाल पाऊंगा? 💔

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18 APR AT 16:55

ख्वाबों को हस्ते देखा है मैंने
मेरी हार पर
रुक गया हूं मैं
खुद से हार कर
हौसले को कहीं खो दिया है मैंने
नहीं रही अब हिम्मत
यह कह दिया मैंने
क्या यह मेरा अंत है
पूछा मैंने खुद को गले लगा कर
कहा मेरे रूह ने
क्यों हार बैठ गया है तू
लड़ना अभी बाकी है तेरा
क्यों खुद से रूठ गया है तू
उड़ान भरना बाकी है तेरा
याद कर वह पल जब यह सबकुछ सोचा था
अकेले ही निकल पड़े थे मंजिल की ओर
उस वक्त कांटो ने भी रोका था
अब कांटो को रौंद कर
हौसले तोड़ा नहीं करते
अगर होना है तुझे सफल
तो हार माना नहीं करते
तो हार माना नहीं करते।।✨🕊️

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12 APR AT 21:56

बहुत कुछ कहना था तुमसे
पर वक़्त मिला ही नहीं
ख्वाबों को रखा समेट कर मैंने
उसे कभी जिया ही नहीं
अब सोचता हूं क्या गलत था मैं?
या फिर हालात ने साथ दिया ही नहीं
मानता हूं गलती थी मेरी
पर तुमने भी कुछ कहा ही नहीं
बहुत कुछ कहना था तुमसे
पर वक़्त मिला ही नहीं

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3 APR AT 1:47

तुम हो ख्वाबों में मेरे
तुम्हें यादों में लिखना नहीं चाहता✨

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5 FEB AT 7:48

मैं कभी खुद को इस भ्रम में नहीं रखा कि मेरी कमी उसको उदास करेगी, यदि आप बेहतर हैं, तो आपसे भी बेहतरीन ढूंढ लिए जाते हैं.🖤

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9 DEC 2023 AT 22:33

PRIORITIZE SLEEP
PRIORITIZE LEARNING
PRIORITIZE SELF-CARE
PRIORITIZE GRATITUDE
PRIORITIZE HYDRATION
PRIORITIZE MINDFULNESS
PRIORITIZE WHOLE FOODS
PRIORITIZE TIME IN NATURE
PRIORITIZE STRESS MANAGEMENT
PRIORITIZE YOUR MENTAL HEALTH
PRIORITIZE SOCIAL CONNECTIONS.🕊️✨

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7 DEC 2023 AT 13:16

चले जहां से थे कभी
वापस आ पहुंचे वहीं।
ये समय का चक्र था
या, रास्ता ही वक्र था।✨🕊️

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14 NOV 2023 AT 16:27

जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। न सुख, न दुःख,न नौकरी, न रिश्ते, कुछ भी नहीं। एक नियत समय पर सबको छूटना ही है, पर छूटने की क्रिया में कब कुछ छूट पाया है। बल्कि शामिल हो जाती है, उदासी, उदासीनता, ऊब, घुटन, पीड़ा और भी न जाने क्या-क्या??? छूटने के क्रम में तो हरा पत्ता भी पीला-पीला पड़ जाता है, फिर हम तो मनुष्य हैं! और हमारी भावनाएं किसी की प्रयोगशाला, जिसपर लोग अपने प्रयोग करते रहते हैं!

"संवेदनशील हृदय के लिए कितनी बड़ी चुनौती है, प्रयोगात्मक दौर में भावनात्मक रहना"✨🌼

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6 NOV 2023 AT 23:32

ढूंढ रहा था सुकून का पता
कमबख्त भूल ही गया
की सांसे तो चल रही है✨

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18 OCT 2023 AT 19:06

मंजिल इतनी पास नहीं
चलना अभी बहुत है तुम्हें
यूं हार के ना बैठ जाना
होना तू हताश नहीं
कठिनाइयां तो आएगी
मगर तुम रुकना नहीं
होकर विफल तुम
घर लौटना नहीं।

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