Rajhans Shephali   (Rajhans Shephali)
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Gatha by Shephali Sharma
Joined 27 August 2020


Gatha by Shephali Sharma
Joined 27 August 2020
5 DEC 2021 AT 20:05

जैसे-जैसे तिमिर का,
हुआ आवरण भग्न
पुष्करिणी का पद्म-वन,
दिखा पंक-संलग्न

'इन्द्र' की कलम से

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4 DEC 2021 AT 10:28

घर आँगन जिनसे भरा,
चले गये वे लोग
वह भी था संयोग ही,
यह भी है संयोग
'इन्द्र' की कलम से

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2 DEC 2021 AT 10:15

कितनी तीखी क्यों न हो, तेरी पैनी धार
बिना काठ के बेंट के,काठ न कटे,कुठार !
'इन्द्र'की कलम से

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1 DEC 2021 AT 22:42

सर्प नहीं यदि छोड़ता, अपना दंशन कर्म
मलयज! तू भी त्याग मत , शीतलता का धर्म
'इन्द्र' की कलम से

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30 NOV 2021 AT 22:47

शून्य घटा जब शून्य से, रहा शून्य ही शेष
शून्य शून्य से जब जुड़ा, योग हुआ निःशेष
'इन्द्र' की कलम से

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29 NOV 2021 AT 21:46

मंदिर मस्जिद में जहाँ, रहे रात-दिन बैर
हो कैसे उस गाँव में , इंसानों की ख़ैर
'इन्द्र' की कलम से

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28 NOV 2021 AT 22:41

मज़हब मज़हब में मचा जहाँ ख़ून का फाग
फिर कुछ लोगों ने वहाँ , दीं बंदूकें दाग
'इन्द्र' की कलम से

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27 NOV 2021 AT 11:50

बुझते-बुझते दीप यह तुझे दे रहा सीख
अंधकार के द्वीप पर, सूर्यपुत्र-सा दीख
'इन्द्र'की कलम से

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26 NOV 2021 AT 22:22

कल परझर कहने लगा"सुनिये सखे!वसंत
होता है बहुधा करुण, हर उत्सव का अंत"

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15 MAY 2021 AT 22:14

चूनर से तो धुल गया, छुटा न मन से रंग
अंग- अंग में आ बसा, कौन अरूप अनंग
'इंद्र' की कलम से

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