"यह भी तो सत्य है _
"सफ़ल"
के पीछे हर कोई खड़ा ।
"असफल"
बेचारा अकेला ही लड़ा ।।"-
तुम सुन रही हो __ सावन की पुहारों ने दस्तक दे दी ।
क्यों न हम बरसती घटाओं में_ तन मन भिगो ले जी ।।-
बहुत कुछ बदल गया है जी_यह निगाहें तुमसे टकराई ।
तुम्ही तुम दिखती रहती हो _ ये आहें _वे बांहे चकराई ।।
_मिलने की तमन्ना थी _ मिलना रोज़ ही होता है_
जिंदगी यों ही गुजरेगी _ कसम दोनों ने मिलकर खाई।।
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सूर्य _चंद्र _तारे _सितारे_ धरा _अम्बर
क्या ?
यह सभी अपने संकेतों से सक्रिय है _
नहीं न
तो फिर हमारे
आने _ जाने से क्या फर्क पड़ेगा ।
इसलिए _ मिले जीवन में
"कर्तव्य" पालन कर संतुष्ट रहे ।-
फूलों की खुशबू से _
हम अपनी सांसे _
तो महकाते रहते है ।
काश !
"चरित्र" की महक से ,
सबका मन खुश रख सके ।"-
तू सोती है मैं जगता हूं _ तू हंसती है मैं रोता हूं ।
पड़ा हूं प्यार में जब से _ वक्त कुछ यों मै खोता हूं ।।
कभी दर्शन तो दे मुझको _चैन दिल को आए री ।
सांसे हुई मेरी बोझिल _ बड़ी मुश्किल से ढोता हूं ।।-
"खुशी ज़ाहिर करने के भी तरीके होते है _
पर देखने में आया है _
बहुत से लोगों को दूसरों को खुशियों में
शरीक होने में भी_
दिखावटी पन दिखाना पड़ता है ।"
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हमनें भी सीखा है सब कुछ गुरु से _ गुरूर नहीं ।
डूबे है नशे में ज्ञान के ही ओर कोई _शुरूर नहीं ।।
""आप सभी को_
_गुरु पूर्णिमा_
पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ___
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"उपदेश देने वाले उपदेश पर चलते
तो _
क्या ?
उपदेश देने की आवश्यकता होती ।
मेरी नज़र से तो नहीं _
आगे जैसा आपका दृष्टिकोण ।"-