तेरी चाहतों से ना दूर हूं,
सिर्फ थोड़ा मजबूर हूँ,
पर तेरी फिक्र से बेफिक्र मैं आज भी ना हूँ,
मैं जानता हूं तुम सोचते हो कि मैं खुश हूं,
तेरी इस सोच से अनभिज्ञ मैं आज भी ना हूँ I
सिर्फ सोच का फर्क़ है हमारी,
तुम गलत , मैं सही आज भी ना हूँ।
Raaazz-
हर बात बता नहीं सकता, हाल-ए-दिल सुना नहीं सकता। समझने वाला समझ जाए तो बेहतर, मैं खुद आकर समझा नही सकता।।
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किसी की कब्र पर मंजिल बनाने की सोचना,
किसी के जज़्बातों को कुचल कर आगे आने की सोचना।
इस सोच पर सोच कर गिर जाने की सोचना,
बेहतर होगा खुद के मर जाने की सोचना ।।-
दूसरों पर उंगली उठाने से पहले खुद की आस्तीन देख ले।
हो सकता है कि आपकी आस्तीन मैली हो और वो सब उसे छुपाने की कोशिश कर रहे हों।।-
एक वक्त के बाद पत्थर भी कमजोर पड़ जाया करते है, फिर मैं तो सिर्फ एक इंसान ही हूॅ।
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ना जानें कब वो वक्त्त आएगा,
जब मेरी नाराजगी को वो अपनी मुस्कान से भुला देंगे।-
ये रात भी तेरी है, ये ख्वाब भी तेरे हैं
उठते हुए ये जज्बात भी तेरे है।।
क्या कहूँ मैं इससे ज्यादा मेरे हर अल्फाज़ भी तेरे है!!-
अल्फाजों को बयां करना जरूरी नहीं होता।
गर मोहब्बत की दिल से की,
तो जिस्मों का मिलना जरूरी नहीं होता।।-
उल्फत का चिराग यों तो जलता नहीं है,
हर किसी के लिए ये दिल मचलता नहीं है ।
कई अनजान मिलते हैं यहाँ,
पर हर किसी के लिए आंसू निकलता नहीं है।।-
मनुष्य के मस्तिष्क में उठने वाले अनैतिक, अनुचित एवं निरर्थक विचारों का कारण मनुष्य का अस्वस्थ होना है।
डॉ• राजकुमार गौतम-