तुम अगर आ नहीं सकते
तो इन हवाओं में अपनी ख़ुशबू छोड़ देना
दिल चाहत माँगता है जो
उसकी उल्फ़त मोड़ लेना
पास तो तुम हो ही हमारे
हर वक़्त हर पल
तुम्हें याद कर बाँहे फहराए
तो फ़लक से एक तारा तोड़ लेना-
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शब्द कैसे समझाए गाथा
अनंत से अनंत है प्रेम की परिभाषा
ना मोह ना माया कोई अन्य विकार जैसा होता ही नहीं
दोनों प्रेमी एक हो जाते हैं दूसरा तीसरा होता ही नहीं-
मेरे शब्द पढ़ोगी तो समस्या बनेंगे
इन कविताओं के श्रृंगार को जान लेना
खुली किताब सा रहा है जीवन
इतना कठिन नहीं है, मुझे पहेचान लेना
क्षितिज लांघ कर मैं आऊँगा पास तेरे
इन दुरियों में भी प्रेम का अनूठा रसपान लेना
रूठना नहीं मुझसे गर देर हो जाए
मेरे स्वास को तुम अपनी धड़कन मान लेना-
It came out of nowhere that you decided to retire from test cricket. Despite the fact that you are one of the best players in test cricket history, there are many people who have trolled you. They aren’t able to understand the aura you have and the love you deserve. But for me, you’re the greatest in the game. Success is the habit of yours that you showed us in every match and I surely miss the passion and the aggression that you displayed in the test game, even when our team were in trouble and there were shots coming from opps like Australia. All the best from my side, King! You are the best! ❤️
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पहेले तो कोई आदत न थी एसी
में राह देखता हूँ सुबह की तुझसे बात करने के लिए
शिकायत तो चाँद से भी हैं मेरी
कमबख़्त नींद को ओढ़ के आता है
कविता नहीं समझना हक़ीक़त जानो ना
वो तुमसे कुछ बातें और चंद लम्हें
भुला देते हैं की ज़िन्दगी कितनी दुखों से भरी हैं-
चांद सूरज बादल से अब मैं शिकायत नहीं करता
तेरी आंखों में मैंने वो सारे मौसम देखें हैं
तुम से नाता आजकल का थोड़ी हैं
तेरे साथ खयालों में मैंने कई जनम देखें हैं
तुम्हारी याद आसमान है मेरे शहर का
उससे आते तारे मैने मेरी छत पर देखें हैं
अर्जी इतनी करी है मैंने खुदा से तेरी
मैंने फरिश्तों को मेरे लिए दुआ करते देखे हैं-
तुम बढ़ गए हो आगे और मैं आज भी वही
राह तक रहा पर तेरा मिलना मुमकिन ही नहीं
फिर भी चाहें तो भेज देना तोहफ़ा तेरी आवाज़ का
मैं बस जाऊंगा उसमें बनाके आशियां यहीं-
वो खुश हैं अपने हमसफर के साथ
यहीं सोचकर हम सफ़र काट रहे हैं
कोई शिकवा नहीं कोई शिकायत नहीं
खुद की बात खुदा से बाट रहें हैं-
बातें कर लेता हूं तेरी तस्वीरों से
वक्त बेवक्त का अब खयाल नहीं
तेरे नखरे अदाएं मुस्कान याद करता हूं
तुम ही उत्तर हो मेरी उलझनों का
और कोई मुझे जिंदगी से सवाल नहीं-
तेरी यादों ने जो हाल किया था
तेरे अलावा कोई खयाल ही न आया
मैं बांध न सका तोड़ दी सब्र की सीमा
दिल कह गया जो उसमें था समाया
बस जो सोचा न था वो मिला
वो पल में मैं एक उम्र गुजार आया
मैंने फरियाद इतनी करी थी रब से
तेरे दिए तोहफ़े से मेरा दिल भर आया
अब कितना सुकून हैं कितना अच्छा लगता है
ये हमेशा रहता पर ये हो न पाया
पर हा में खुश बहुत हूं बड़े अरसे बाद
पर्दे हटे जंजीरे टूटी और तू सामने आया-