may all my days be good
but not special without you
Rajesh kumar-
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कियां मानूं आपणो राम रुखाळो है
तन गो गोरो होसी पण मन गो काळो है
अण भाई म्हारो खोस लियो
हाथां मैं कैंची इंगै जबान गै ताळो है ।
राजेश कुमार
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घर मुझे ढूँढता है
मैं घर को ढूँढता हूँ
दिन भर यही सिलसिला
चलता है रहता है।
कुछ हिदायतें साथ होती है
कुछ जिम्मेदारियां भी
बहुत सारी ख्वाहिशें लिखी होती है
जेब में रखी एक पर्ची पर।
कई मील का सफर
कटता है उम्मीद में
तब तक पसीने की बूंदें
शुरू कर देती है सफर अपना।
बच्चों की फ़रमाइशें
थकने नहीं देती है
चॉकलेट गुब्बारे टॉफी
आवाजें गूँजती है कानों में।
पूछ लेते हैं अक्सर साथ वाले
कहाँ से लाये हो हिम्मत इतनी
मुस्कुरा कर कह देता हूँ
बस इतना, मेरे घर से।
दिन ढ़लते ही उठे कदमघर की ओर
गलियों की धूल मानों लिपट रही है मुझसे
इस धरा का स्नेह पाता हुआ
फिर से ढूंढ़ लेता है घर को ।
राजेश कुमार-
तरकश में तीर थे बहुत चला न सका
वादों के भरम में वादे निभा न सका
राजेश कुमार-
तन्हा तन्हा रहने में मज़ा क्या है
इससे बड़ी दुनिया में सज़ा क्या है
हो जाते हैं ठीक लाखों मर्ज मगर
इश्क़ में इससे महँगी कज़ा क्या है
राजेश कुमार-
भूखो बेरोजगार आदमी
रोमांटिक कोनी हो सकै
हो सकै सिर्फ परेशान।
करबो करां गुजारो
दाळ रोटी स्यूँ पण
बिन्या काम गै दाळ रोटी
ल्यावां कठै स्यूँ।
अमीरी गी जरूरत कोनी
टेम टिपा लेस्याँ इयां ई
जद नई कूम्पळ फूटैली खेत मैं
तो होसी रोमांटिक ओ आदमी।
राजेश कुमार
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मज़हब को मज़हब से तोलते हैं लोग
पता नहीं क्या क्या बोलते हैं लोग
गर्दिश में है सितारे मगर
दुनिया के राज़ खोलते हैं लोग
राजेश कुमार-
धिरे धिरे आग सी जल रही ज़िन्दगी
जाने क्यों हाथ से फिसल रही ज़िन्दगी
राजेश कुमार
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