पीड़ा से पीर
सहज है आना।
स्थिर नही जीवन में,
इससे न घबराना।
कोई पल प्रसन्न!
परन्तु ना इठलाना।
कोई भी एक सैदेव नही,
बस सम भाव से,
जीवन जीते जाना।-
तुम्हारे करीब नज़र आऊंगा।
जो जानोगे करीब से मुझे,
दावा है आप के दिल... read more
मेले को देखते ही,
मुझे मेरे बचपन,
याद आता है।
कितनी ललक थी,
मेले में जाने की,
वो ठेले की चाट,
कुल्फी,घूमते चरक,
चेहरों पर खुशियां लेकर,
घूमते लोग।
आखिर क्यों!
वो जुनून खो गया है।
मेलों का रंग,
अब फीका हो गया है।
नही!
मेले अभी भी उसी रंग में हैं।
बस मेरा बचपन खो गया है।
बस मेरा बचपन खो गया है।-
मुस्कुराहट के पीछे,
कुछ सार छिपा होता है।
कभी खुशी,
तो कभी कभी दर्द,
छुपा होता है।-
से रूबरू हो गए हम!
बड़ी हसीन है जिंदगी,
जब से महोब्बत की तासीर
महसूस कर गए हम।।-
सादगी खूबसूरती का,
लिबास होती है।
बनावटी लोगों से,
ये बहुत दूर होती है।
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जो देखती है निगाहें,
कई बार वो सच नही होता।
हक़ीकत को कभी कभी,
समझना भी पड़ता है।-
चलो निकलते है,
कामयाबी के सफर पे।
राह में ठोकरे लगेंगी जरूर,
मगर वो.. शिखर,
सुकून देगा जरूर।।
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चलो ढूँढते है खुशियां,
जीने के लिए।
राहों में दिक्कतें,
चाहें मिलें।।-
के थोड़ा वक्त तो लगेगा,
संभल जाएंगे हम।।
जीना हमें भी यहां है
और किधर जाएंगे हम।।-