RAJESH JHA   (Rj)
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Joined 22 January 2021


Joined 22 January 2021
7 SEP 2022 AT 19:11

जब खुद का साथ चलने का वक्त आया।।
तब पता चला, खुद को तो खो चुका हूँ।।

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1 SEP 2022 AT 21:49

खामोशी को चूना हैं मैंने
क्योंकि बहूत कुछ सुना है मैंने 🙂

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26 JUL 2022 AT 0:34

लाईलाज बिमारी हैं, और
मैं ठीक होना चाहता 😔

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26 JUL 2022 AT 0:26

मुझसे नहीं कटती अब ये उदास रातें,
बेखुदी मे कल सूरज से कहूँगा मुझे साथ लेकर डूबे.

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9 JUL 2022 AT 1:05

फुरसत लेकर कभी ख्वाबों आया करो
ख्वाबों में आकर तुम फिर ना जाया करो
इतना भी हमे ना तड़पाया करो
ख्वाबो में आकर थोड़ा कम शर्माया करो।😊

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7 JUL 2022 AT 0:09

हौसले ज़िन्दगी के देखते हैं ,
चलिए कुछ देर जी के देखते हैं।

नींद पिछली सदी से जख्मी हैं ,
ख्वाब अगली सदी के देखते हैं।

धूप इतनी कराहती क्यों हैं,
छांव के ज़ख्म सी के देखते हैं।

टकटकी बाँध ली है आँखों ने,
रास्ते वापसी के देखते हैं।

बारिशों से तो प्यास बुझती नहीं,
आइए ज़हर पी के देखते हैं।

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4 JUL 2022 AT 22:15

एक रोज हम भी महंगा होंगे 🙂

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24 MAR 2022 AT 20:25

कैस रूठ जाऊं मैं उस शक्स से,
जिसकी हर एक दुआ में जिक्र सिर्फ मेरा रहता ☺️

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22 FEB 2022 AT 17:46

ये क्या हो रहा हैं?

कल तक तो सब सुना था।
ये आज इतनी भीड़ क्यो हैं?
ये क्या हो रहा हैं?












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