लगा के काजल वो नमी आंखों की छुपाते है
है खुश मेरे बग़ैर भी, ये जमाने को जताते है
हटा के नकाब, चेहरा कभी आईने में देखना
चेहरा तेरा होगा, मगर नज़र हम ही आते है-
खुद को हार कर जिन्हें हम जीतना सिखाते है अक्सर वे ही हमारे आंसुओं के सबब बन जाते है
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सबक जो मिले मोहब्बत में तेरी,याद रखेंगे
अब न शिक़वा, न होठों पर फरियाद रखेंगे/१/
पहना कर बेड़िया दिल को, इश्क़ की तेरी
अपनी यादों से तुझे हर दम आज़ाद रखेंगे/२/
हो गया खंडहर गर दिल-ऐ-ताज,गम नहीं
दिल-ऐ-कब्रिस्तान में, तुझे आबाद रखेंगे/३/
कर लेना सितम सभी, जो तेरा दिल चाहे
बारे दुन्या में रह गम-ज़दा,तुझे शाद रखेंगे/४/
पैबस्त है दिले-राज में, खंज़र तेरी बातों के
सकूं-ऐ-दिल को तेरे, खुद को बर्बाद रखेंगे/५/-
जल रहे है ख्वाब, सिसक रही है आंखें
तड़प रही है यादें, बिसर रही है बातें
लरजते होंठों से रिसते बेचैनी के लम्हे
है इंतेज़ार में,आखिर कब रुकेगी सांसे-
गुजरा करीब से अजनबी कोई
बिखेर पहचानी महक के साथ,
देरतक महकता रहा वज़ूद मेरा
तेरी यादों की खुश्बू के साथ...-
ये उम्र गुज़र गयी सारी...
मैं बन गया बालब्रह्मचारी
तू रह गयी कन्याकुमारी-
क्षितिज के पार धुंधलके अंधेरे में
जहाँ मिल रहे ये आसमान जमीन
टकटकी लगाए पर्वत देख रहे है
गुलाबी चुनरी ओढ़े आसमां हसीं-
है सफर अभी कितना और बाकी
थक गया हूँ मर मर के जीते हुए,
कब लेगी आगोश में,ऐ मौत मुझे
थक गया अश्क़-ऐ-लहू पीते हुए-