भुलाना मुझे यूं,आसान ना होगा तेरे लिए,
आया हूं जहां मैं सिर्फ तेरे लिए,
जगोगे तो तो आऊंगा,याद बनके,
सोवोगे तो आऊंगा , ख़्वाब बनके,
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बड़ा आसान है,मेरा कत्ल करना,
तू, मेरे लिए,कोई खंजर तलास न कर,
मारा जाऊंगा, मैं तेरी एक नज़र से फख्त,
यूं रंज ना कर, दिल उदास न कर,
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बता दे,कोई पता दे,
वो,फकीर ढूंढ रहा हूं,
खुद के हाथों में,
तेरी तहरीर ढूंढ रहा हूं,
आगोश ए तुफां, में
गुम है जो, अब भी कहीं,
किस्मत में गुमशुदा,
वो लकीर ढूंढ रहा हूं
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उम्मीद थी की, तन्हाई तो करेगी वफ़ा ,
एक ख्याल पे, अब टिकता नही ख्याल मेरा,
दम तोड़ा है, हर एक आरजू ने सिसक सिसक के,
हाल बहुत ही,बेहाल है मेरा-
मगरूर है, तूफ़ान की अबकी, की वो सब,
खाक में मिटा ही देगा,
जुगत में हैं लूटा हुआ परिंदा की,
तिनका तिनका ही सही, आशिया बना ही लेगा-
दिल के बाजार में,
आजकल बड़ी मंदी है,
सुरतें बेहद दिलचस्प और
सोच बड़ी गंदी है,
सौदे होते है यहां,जमीर के
जेब में झांककर,
भीतर ही भीतर,
रुतबा और हैसियत नापकर,
कोई नही है ऐसा,
जो यहां ठगा ना गया हो,
गहरी नींद के आगोस से,
कोई जगा न गया हो,
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बात तनिक कड़वी सी है, ए नादान इंसान
हो सके तो गौर कर के, इसे पचा ले,
"मंगल"पे जंगल बाद में आबाद कर लेना,
पहले इस धरा के जंगल तो बचा ले
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उनके लिए कुछ फर्ज थे हम इंसानों के,
हम ने सब के सब वो खाक में मिला दिए,
खुद के हिस्से का, हमने संजो लिया बड़ी शिद्दत से,
उनके हिस्से के तिनके तमाम जला दिए,
✍️राजेश बेनीवाल-
ये काम में अंधे हुए लोग, बर्बादी के मुहाने पे खड़े है,
नज़र,गहन कर देखें तो,
हड्डियों पे चिपके मांस के लोथड़े है-