Rajendrasingh Rajput   (RajendraWrites)
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Joined 9 August 2020


Joined 9 August 2020
29 JAN 2022 AT 15:31

ज़ाम भर लबोंसे तेरे, आंखोंसे पिला दे मुझको
लड़खड़ा रहा हूँ थाम, हाथोंसे, पिला दे मुझको— % &

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14 JAN 2022 AT 19:41

मौसममें तो खुनकी है, आगे मर्ज़ी उनकी है
कुछ साँसे गर्म बढ़ी जातीं, है अपनी याकी उनकी है

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8 JAN 2022 AT 14:24

વિસરાઈ ગયેલી યાદોનો ફરી સાથ થયી જાય
જુના મિત્રોનો એક વાર સંગાથ થયી જાય
નવા વર્ષે બધું નવું હોય એવી ચાહત નથી
મનથી માણીશું જો કોઈ જૂની વાત થયી જાય

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8 JAN 2022 AT 13:59

रेतकी तरह उँगलियोंसे फिसल गया मगर
बीता वक़्त अब भी दीवारों दरमें रहता है

कुछ देर और खेल लूं बच्चोंके साथ
दिल आजकल किसी डर में रहता है

झपकते ही पलकें बीत गया था जो
बचपन सेहमासा किसी दफ्तरमें रहता है

एक अदू से बोहत पहले बच निकला था मैं
साया बनके मेरे साथ हर डगरमें रहता है

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8 JAN 2022 AT 11:09

मंज़िलों से रूठा हुआ एक मुसाफिर
थक गया लेकिन सफरमें रहता है

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7 JAN 2022 AT 23:35

इक पल के ही लिए सामने आया था मगर
हर पल अब वो चेहरा नज़रमें रहता है

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2 JAN 2022 AT 20:39

नए ज़ख्म रोज़ तलाश लेता है दिल
किसी मरहम पे आ गया है, शायद

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29 DEC 2021 AT 22:50

घडी जो मेरे जन्मदिन की भेंट थी
वक़्त दिखाना छोड़ दिया है उसने
तेरे मेरे साथका गवाह था इक दोस्त
मिलना मिलाना छोड़ दिया है उसने
मंदिर, बागीचे, कई मोड़ और रास्ते
अज़नबी हो गए हैं सब मेरे वास्ते
ऐसे सभी घाटोंकी गिनती हो जाती
कुछ रात जब नींद नहीं आती

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24 SEP 2021 AT 21:46

एक, दो, तीन, चार, दिनकी है आज धीमी रफ़्तार
एक, दो, तीन, चार, छोटे से मिलनका लम्बा इंतज़ार
कहाँ है मंज़िल, मीलों के निशाँ
सफर में हूँ मैं, ना कोई है यहाँ
तेरी ही ओर ले जा रहा मुझे
हूँ कितना बेक़रार, क्या पता तुझे

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21 SEP 2021 AT 14:17

कोई तो अपनी प्यास लिए आये कभी इधर
एक दरिया बरसोंसे तनहा बहे जाय है

कोई तो पढ़े इसको, कोई दाद दे कभी
एक दीवाना बरसोंसे गुमनाम लिखे जाय है

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