ज़रा सामने बैठो
हाँ तुम मुद्दतों से मेरे साथ हो
पर ज़रा सामने बैठो
कि मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ
और देखते ही रहना चाहता हूँ
बिना पलकें झपकाए
बिना ये देखे कि कौन मुझे देख रहा है
बिना ये सोचे कि तुम क्या सोच रही हो
मैं खोया हुआ हूँ एक अरसे तुम्हारे इश्क़ में
इतना कि मैं अब तुम हो गया हूँ
तो आज मैं खुद को तुम में ढूँढना चाहता हूँ
इसलिए, बस इसलिए...
ज़रा सामने बैठो
कि मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ-
Long after we are gone, this era will be remembered as
"The Era when Religion, Politics and Nationalism were mistaken for each other..."-
If you ever feel jealous of me, don't feel bad about that... It's understandable...
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My inability to ignore Insanity and my eternal wait for Sanity to resume is driving me insane every passing day...
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ये जो है, वो सच में है भी???
या फिर ये बस एक भ्रम है मेरा...-
जो हो सर पे हाथ आपका तो ग़म कहाँ आसपास टिकता है
आप माँ हैं मेरी, शुक्रिया उसका कि जो किस्मतें लिखता है
नहीं ज़रूरत मुझे मंदिरों के चक्कर काटने की
कि मुझे आप ही में अपना भगवान दिखता है-
अपने ही बागीचे के चंद फूलों को, कुचल रहा खुद माली है
और जिससे डरते हैं हम, उसी के हाथ हमारी रखवाली है-
वो जब ख़ुद से ऊपर मुझे ढूँढ़ते हैं और मैं दिखता नहीं उन्हें,
तो नादान समझ बैठते हैं कि मैं कहीं नीचे रह गया|
अब कोई बतलाए मुझे कि मैं कुसूर उनकी नादानी को दूँ या कमज़ोर नज़रों को,
कि जो बस कुछ ही दूर देख पाती है||-
Strive for Enough.
Because if you strive for More, it'll never be Enough.-
जो घर में बीते, तो दिवाली है|
नहीं तो बस अमावस की एक रात काली है||-