..........."राज"............
रिश्तों को चाय में शक्कर के जैसे माप के ही रखना
चाय अगर फीकी हुई तो स्वाद नही आएगा और
ज्यादा मीठी हुई तो मन भर जाएगा।।-
..........."राज"...........
प्रतिमा में ईश्वर नहीं
प्रति एक माँ में ईश्वर है।।-
.........."राज"..........
हर उस व्यक्ति ने छीनी है मुस्कान मेरे चेहरे की
मैंने जिस जिस को बताया कि जरूरी हो तुम मेरे लिए।।-
..........."राज"............
एक साथ चार कंधे देखकर मेरे जेहन में एक विचार आया
कि एक ही काफी था अगर समय पर मिल जाता तो।।-
....…..."राज"...........
अपने शब्दों के साथ सावधान रहिये
क्योंकि आप नहीं जानते कि यह किसी के दिमाग में कितनी बार दोहराया जाएगा।।-
........."राज"..........
नवरात्रों में तो वो और भी अच्छी लगती है
नौ दिन तक माथे पर टीका सर पर दुपट्टा रखती है
और क्या बताऊं तुम्हें इन दिनों उसके चेहरे का नूर यारों
ऐसे लगता है जैसे मां दुर्गा उसपर खूब बरसती है।।-
........."राज"..........
जो बाटता फिरता है जमाने में उजाले
उसके दामन में अंधेरे के सिवा कुछ भी नहीं है।।-
.........."राज"..........
न जाने इतना दर्द क्यों देती है ये दुनिया
एक हंसते हुए भी व्यक्ति दुआओं में मौत मांगता है।।-
..........."राज"...........
अपने लहजे में सुधार लाओ
क्योंकि पृथ्वी पर अमीर हो सकते हो लेकिन अमर नहीं।।-
........."राज"..........
एक सच यह भी है कि मांगते समय तो पूरी दुनिया मांग लेंगे
लेकिन जब दान की बारी आती है तब सिक्के ढूंढते हैं लोग।।-