सुनो! एक बात सुनोगी क्या,
रोक कर अपनी दिल की हलचल,
कुछ वक्त मुझे दोगी क्या,
हर किसी को यू देखती हो,
एक नजर मेरी तरफ देखोगी क्या,
अच्छा छोड़ो इन बातों को,
मेरी बातों पर गौर करोगी क्या,
बर्षो पहले गली के मोड़ पे देखे थे तुमको,
कुल्हड़ चाय लिए हाथों में तकते थे तुमको,
इस बात को मानोगी क्या,
तेरा पलट कर मुस्कुराकर चले जाने पर,
घण्टो बैठे रहते थे,
फिर पहले की तरह मुस्कुराओगी क्या,
जो रास्तो पर सुरु हुआ अपनी दस्ता
उसको रास्तो पर ही खत्म करोगी क्या,
दिल मे कुछ उम्मीदे पाले बैठा हूँ,
सुनो कुछ पल मेरे नाम करोगी क्या,
बाहे फैलाये खड़ा हूँ राहों में तेरे लिए
बाहे डाल बाहो में कुछ पल साथ चलोगी क्या,
ऐसा करो जिस्म खुद ही रख लो,
अपनी रूह मेरे नाम करोगी क्या।।🖋️
-