शिक्षा से आजीविका
शिक्षक से शिक्षा, पिता से छाया मिला ,
माँ से ममता , दोस्तो से ताकत,
किताब से ज्ञान हासिल कर,
कलम से तकदीर बदलने की संयोग मिला ।।
मेहनत कर के हौसलों को बुलंदी मिला,
आज पगड़ी हटकर सर पर ताज मिला ।
गरीबी हटाकर हक छिनने की शक्ति,
एक देश कि एक नागरिक का सम्मान मिला ।।
सुखे पत्तों को हरियाली मिला ,
कोयले के अंदर घिसकर हीरा मिला।
जो दब गया था बीज मिट्टी के अंदर कहीं ,
आज अंकुर के साथ बाहर निकलने का अवसर मिला ।।
कोहरा में सुरज को रोशनी मिला ,
जैसे रात अंधकार को चाँदनी की ज्योत मिला ।
जिस तरह जल से प्यास को तृप्त मिला,
शिक्षा से मुझे भीड़ से अलग पहचान मिला ।।
थम सी गई थी जिन्दगी को रफ्तार मिला ,
जैसे पथिक के छाले भरे पैर को आराम मिला ।
जीवन जीने के आजीविका को कौशल मिला,
शिक्षा से पुराने हरे घाव को मानो महरम मिला ।।
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