किस्तों किस्तों में कोई आता गया...नगमे वफ़ा के वो हमें सुनाता गया...पर कोई शख़्स ऐसा भी नहीं मिला...जो ग़ज़लें "नवाब" की तरह सुनाता गया... -
किस्तों किस्तों में कोई आता गया...नगमे वफ़ा के वो हमें सुनाता गया...पर कोई शख़्स ऐसा भी नहीं मिला...जो ग़ज़लें "नवाब" की तरह सुनाता गया...
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बहुत सी चीज़ों को छुपाना सिखों...अपने हर एक गमों को दबाना सिखों...कब तक यूं अपने दर्दों को बताते रहोगे...कभी तो ख़ुद से ख़ुद को हसाना सिखों... -
बहुत सी चीज़ों को छुपाना सिखों...अपने हर एक गमों को दबाना सिखों...कब तक यूं अपने दर्दों को बताते रहोगे...कभी तो ख़ुद से ख़ुद को हसाना सिखों...
किसी के तस्वीर का हिस्सा ना बनु...किसी के कहानी का किस्सा ना बनू...कुछ ऐसी फितरत बन गई है मेरी...कि अब किसी का झुठा रिश्ता ना बनू... -
किसी के तस्वीर का हिस्सा ना बनु...किसी के कहानी का किस्सा ना बनू...कुछ ऐसी फितरत बन गई है मेरी...कि अब किसी का झुठा रिश्ता ना बनू...
अधूरी मोहब्बत तो मेरी जिन्दगी मे है लिखा...कभी आंखों में नमी तो कभी ख़ुशी है दिखा...अब तो डर लगता हैं हर एक शख़्स से मुझे...क्योंकि इस शहर में मेरे जज़्बात ही है बिका... -
अधूरी मोहब्बत तो मेरी जिन्दगी मे है लिखा...कभी आंखों में नमी तो कभी ख़ुशी है दिखा...अब तो डर लगता हैं हर एक शख़्स से मुझे...क्योंकि इस शहर में मेरे जज़्बात ही है बिका...
मेरा घर मेरे बगैर घर ना रहा...और यहां खुद मुंझे ख़बर ना रहा...ये भी कितना अजीब फ़लसफ़ा हैं...की अब ख़ुद पे ही मेरा असर ना रहा... -
मेरा घर मेरे बगैर घर ना रहा...और यहां खुद मुंझे ख़बर ना रहा...ये भी कितना अजीब फ़लसफ़ा हैं...की अब ख़ुद पे ही मेरा असर ना रहा...
हमारी समस्या का समाधान केवल हमारे पास है...दूसरो के पास तो केवल सुझाव है... -
हमारी समस्या का समाधान केवल हमारे पास है...दूसरो के पास तो केवल सुझाव है...
ये झूठी हमदर्दी हमें ना दिखाया करो...कोई अधूरी बाते भी ना बताया करो...मोहब्बत के काबिल नहीं है तो क्या...पर यू नफ़रत से हमें ना जलाया करों... -
ये झूठी हमदर्दी हमें ना दिखाया करो...कोई अधूरी बाते भी ना बताया करो...मोहब्बत के काबिल नहीं है तो क्या...पर यू नफ़रत से हमें ना जलाया करों...
किसी की खुशियों भरी रात होगी...तो किसी की गमों की बरसात होगी...ये दुनियां अजीब किस्सों की है जनाब...यहां हर एक शख़्स की अलग सौगात होगी... -
किसी की खुशियों भरी रात होगी...तो किसी की गमों की बरसात होगी...ये दुनियां अजीब किस्सों की है जनाब...यहां हर एक शख़्स की अलग सौगात होगी...
रूबरू हुआ मै दुनियां के ताने बाने से..इक मुनासिब के आने से, तो गैर के जाने से...मुसलसल जिन्दगी का सफ़र तक जारी है...इंतजार हैं तो सिर्फ़ एक ख्वाहिश बेगाने से...नामुराद कोई ऐसी ख्वाहिश नहीं होती...जो ना मिल सके हमे इस बेरहम ज़माने से...बेसख़ हर एक शख्स में परवाना होता है...पर फुरसत कहां है किसी को हसी उड़ाने से...ये बेदर्दी तुम किसी को ना बताना "गौरव"...कोई मसरूफ नहीं है यहां ख़ुद के घर बनाने से... -
रूबरू हुआ मै दुनियां के ताने बाने से..इक मुनासिब के आने से, तो गैर के जाने से...मुसलसल जिन्दगी का सफ़र तक जारी है...इंतजार हैं तो सिर्फ़ एक ख्वाहिश बेगाने से...नामुराद कोई ऐसी ख्वाहिश नहीं होती...जो ना मिल सके हमे इस बेरहम ज़माने से...बेसख़ हर एक शख्स में परवाना होता है...पर फुरसत कहां है किसी को हसी उड़ाने से...ये बेदर्दी तुम किसी को ना बताना "गौरव"...कोई मसरूफ नहीं है यहां ख़ुद के घर बनाने से...
अब वो धीरे-धीरे घर से निकलने लगे हैं...जो बर्फ़ जमीं थीं जहन में वो पिघलने लगे हैं...!ये बेरोजगारी भी कुछ कमाल की थी जनाब...जो बंज़र जमीं में गुलशन के फूल खिलने लगे हैं...!ये सरेआम बदनाम करना भी उनके हक में हैं...क्योंकि उनके जुबां मेरी मेहनत से सिलने लगे हैं...!हर दफा की तरह आज भी मुझे फायदा ना हुआ...जो बची थी दिल में जगह उनके अब हिलने लगे हैं...ये मंज़र अभी आख़री नहीं है तेरे पास "गौरव"जो हालात तेरे बिगड़े हुए थे अब समहलने लगे हैं...! -
अब वो धीरे-धीरे घर से निकलने लगे हैं...जो बर्फ़ जमीं थीं जहन में वो पिघलने लगे हैं...!ये बेरोजगारी भी कुछ कमाल की थी जनाब...जो बंज़र जमीं में गुलशन के फूल खिलने लगे हैं...!ये सरेआम बदनाम करना भी उनके हक में हैं...क्योंकि उनके जुबां मेरी मेहनत से सिलने लगे हैं...!हर दफा की तरह आज भी मुझे फायदा ना हुआ...जो बची थी दिल में जगह उनके अब हिलने लगे हैं...ये मंज़र अभी आख़री नहीं है तेरे पास "गौरव"जो हालात तेरे बिगड़े हुए थे अब समहलने लगे हैं...!