आप किन - किन से हिसाब कीजिएगा,
हाथ में हो तलवार तो किसे खराब कहिएगा।
यूँ ही नहीं पूछता हैं हाल - चाल कोई,
इक मशवरा मेरा संभलकर जवाब दीजिएगा।
अब झूठे लोगों की पहचान छोड़ ही दीजिए,
गर सच्चा मिले तो ज़रूर गुलाब दीजिएगा।
बिना पानी के उजड़ गई सारी बस्तियां,
जिम्मेदार को कब तक आप जनाब कहिएगा।
आस्तीन में सांप रखकर कौन बादशाह बना हैं,
हुजूर, तैयार आप भी अपना नक़ाब रखिएगा।-
*** शौकिया शायर ✍️(हिंदी और उर्दू मिश्रित शायरी का... read more
उड़ो आसमानों में ऐसा लोग कहते हैं,
ग़र उड़ गए तो जमीं पे निशाँ पूछते हैं।
दिखा दूँ ग़र जमीं पे निशाँ अपने तो,
वो मन में पानी का ख़्याल सोचते हैं।
शुक्र हैं कि बिना परों के भी उड़ सकते हैं,
वर्ना यहां तो हजारों तलवार लिए चलते हैं।
परेशानियों में कौन किसका हाल पूछते हैं,
बुलंदियों पे तो सारा जहां सलाम करते हैं।
उनको कभी क़रीबी हम कह नहीं सकते,
सारी बात के बाद जो तकलीफ़ पूछते हैं।-
अब कमरे को और सजा नहीं सकते,
इक के पीछे कोई तस्वीर छुपा नहीं सकते।
कोई पुराना हादसा फिर ना हो जाए,
अब हम दोस्तों के नाम बता नहीं सकते।
मेरे ज़ख्मों पर निशाँ किसके हैं मत पूछो,
उसे हम सितमगरों में गिना नहीं सकते।
तुझे मुझपर यक़ीन तो हैं ये वो कहते हैं,
जो वास्तव में यक़ीन निभा नहीं सकते।
ख़ामोश हूँ आज मैं इसलिए भी क्योंकि,
हर जज्बात सभी को बता नहीं सकते।
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अंधेरों के बाद सवेरा का लम्हात तो हैं,
काले अब्रों के बाद बरसात की सौगात तो हैं।
क्यूँ सहमे हम इन मंजरों को देखकर,
मंजरों के बाद एक नयीं शुरुआत तो हैं।
अपने भी बेगाने हुए हैं अभी तो क्या हुआ,
इन जलजलों के बाद हसीन मुलाकात तो हैं।
काले दिन हैं जरूर परेशान क्यूँ हो जाए हम,
हमारे सब्र के बाद एक रौशन रात तो हैं।
बदलेंगे हालात मालिक पे भरोसा रख 'राजन',
ये सब तो बस उनका करामात तो हैं।
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सब पर रंगों का ऐसा असर हो जाए,
अपने - बेगाने का फ़र्क बे-असर हो जाए।
इक ही बगिया के फूल हैं हम सारे,
ये असलियत सबको नज़र हो जाए।
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अकेला ही आशियाना बना लूंगा,
बंजर जमीं से गुलाब खिला दूँगा,
सब्र कर जालसाज़ी करने वाले,
इस नायाब अदा को भुलवा दूँगा।
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एक जुनून है सितारा बनने की,
दूर नहीं बहुत दूर में चमकने की।
जिसको क़भी अब्र ढक ना सके,
जहां में इतनी रौशनी बिखरने की।
कोई मुझे देखकर उफ़्फ़ ना करें,
इरादे हैं सबके दिल पर छा जाने की।
अंधरों में गुजारी हैं बहुतों ने जिंदगी,
अब उनकी दोस्ती नूर से करवाने की।
बेजुबान ने सहें हैं बहुत से सितम,
चाहत हैं उनकी एक आवाज़ बनने की।
हर लम्हा जिन्हें मौत से लग रहें हैं,
उनके लिए ज़िंदगी की ज़रिया बनने की।
- Rajat Rajan
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रुख़ अपना कब तलक उतारेंगे,
इक दिन आप जरूर मुस्कुरायेंगे।
पंछियों को घोंसला मत बताइए,
शाम - तलक खुद घर आ जाएंगे।
रेत हैं रास्तों पर तो क्यूँ डरे हम,
इक झोंका नया आशियाना बना जाएंगे।
रास्तों से घर का पता नहीं पूछते हम,
यक़ीन हैं कोई रास्ता घर जरूर ले जाएंगे।
पत्थरों को पत्थर कहकर शर्मिंदा क्यों करें,
ये मासूम हो गए तो जख़्म कौन लगाएंगे।
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चांद से झगड़ा हो गया है,
इक नया हादसा हो गया है।
पहले होता था सबसे रूबरू,
आज देखो अकेला हो गया है।
रोते थे हम बहुत जिनके बिन ,
दर्द से उनका रिश्ता हो गया है।
हिफ़ाजत की मैंने उनकी बातों का,
आज हवा को सब पता हो गया है।
मग़रूर रहती थी अपने रुख पर,
असलियत से मुकाबला हो गया है।-
हर वक़्त हादसों पर हादसा होता रहा।
इल्ज़ामों का सिलसिला चलता रहा।
अपने करतूतों का कुछ असर दिखा तो,
हर शख्स 2020 को गंदा कहता रहा।
ना जाने कितने ही नायाब वक़्त आए,
पर 2020 पर सिर्फ दाग लगता रहा।
***अलविदा 2020, कुछ हसीन पल
से रूबरू और हकीकत से वाकिफ़ कराने
के लिए बहुत शुक्रिया***-