प्रेम की परिभाषा हो तुम,
मेरी मर्यादा हो तुम।
तुम्हें आंक भी न पाऊं,
ऐसी मेरी राधा हो तुम।-
🤝🤝
👇👇
If you... read more
आंखे उसकी सारे राज कहती थी।
फ़िर भी मैं कल समझा,
कि वो मुझसे प्यार करती थी।
हद कर दी यारा,
तूने अपना हक़ जताने में।
मुझे पाने में,
ख़ुदको लुटाने में।-
हमसे पूछो
ख़त पर दिल कैसे लिखते है?
एक को ही ,
कई बार कैसे लिखते है?
सुनवाई न हो,
फ़िर भी दावे पर दावे,
पेश कैसे करते है?
आओ बताए,
ख़त पर क्या लिखते है?-
ख़्वाबों में आकर, ख़्वाब बदल देती है।
ख्यालों में आकर, ख़्याल बदल देती है।
जानी! वो मुझमें रहकर मुझे बदल देती है।
और तुम कहते हो, मुझे इश्क़ नहीं.....
इतनी हमदर्दी भी तो ठीक नहीं।-
जिसकी आंखों में इतनी बात है,
वो बोलती कम...
पर घूरती लाज़वाब है।
पर मैं सामने आया,
तो उसने पलकें झुका ली।
मुझको आंखों में भरकर,
उसने आंखें ही छिपा ली।-
यूं तो हर कोई मुझे मानना चाह रहा
पर दिल जिसे चाहता है,
वो किसी और से मान रहा।
गिला शिकवा दूर हो,
तो फ़िर आगे इज़हार भी हो।
अधूरी मोहब्बत में,
थोड़ा इकरार भी हो।
पर बात तो ऐसे बन्द है,
जैसे उसे जानते ही नहीं।
हम मिले तो नहीं,
पर क्या एक दूसरे को
पहचानते भी नहीं।-