No-one did
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Rajat Khantwal
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Joined 28 November 2020
25 MAY 2021 AT 21:32
यदि नियति करती प्रहार पल पल है,
छलों से हुआ मन व्याकुल विकल् है,
तो स्मरण रहे - सत्व, श्रम, और बुद्धि तेरे संबल है
कोई न जन्मा न जन्मेगा तुझसा वीर,
जिसके पास हर समस्या का हल है!
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21 MAY 2021 AT 22:46
कहीं वहाँ पर दूर गगन में चमक रहा उजियारा
दूर शून्य में क्या बह रही कोई जीवन धारा!
क्या प्रश्न नहीं यह वृद्धजनों के मन में कौंधा होगा?
क्या जिज्ञासा ने मन को उनके कभी न जकड़ा होगा?
या सभ्यता की आहुति में वे चढ़ा गये जिज्ञासा भी,
उजियारे से मूंद नयन केवल स्वयं प्रशंसा की!
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26 MAR 2021 AT 18:26
निरत निरंतर विफलता युग, आज पुनः गतिमान हुआ
बुद्धि, विवेक औ सक्षमता की शंका का समाधान हुआ
विचलित हूँ, पथभ्रामित हूँ, यह अज्ञेयता का ज्ञान हुआ
स्व-जीवन का जग में मूल्य आंक, यह मनवा रेगिस्तान हुआ!-