......."मनोबल जब भी टूटता हैकई बार हार जाने के बाद।उठता नहीं इंसान कभी फिर,ज़रा सी चोट खाने के बाद।".......(पूर्ण कविता अनुशीर्षक में.......) - ©रजत द्विवेदी
......."मनोबल जब भी टूटता हैकई बार हार जाने के बाद।उठता नहीं इंसान कभी फिर,ज़रा सी चोट खाने के बाद।".......(पूर्ण कविता अनुशीर्षक में.......)
- ©रजत द्विवेदी