दोस्ती ही जिंदगी जीना सिखाती है।
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कभी कहानी, कभी कविता, कभी लेख, कभी आत्मकथा, कभी-... read more
जरुरत से ज्यादा झुकने से कमर टूट जाता है।
मगर फिर टूट कर भी आदमी जिंदगी जीना सीख जाता है।
कसम है बस इतना न मुझको टूट कर चाहो,
ज्यादा कुछ पा जाने से भी गदागर टूट जाता है।
तुम्हारे यादों के शहर रहने को तो रहते हैं हम लेकिन कभी शब्द रुठ जाते हैं कभी कलम टूट जाता है।
रजनी अजीत सिंह 17.12.21-
जिंदगी से हर रिस्ते गैर हाजिर हो गये ।
इक निभाना था बाकी पर आदि और अंत हो गये।
दोस्तो और रिस्तों में बांट दी अपनी ही जिंदगी।
दोस्ती और रिस्ते अपनो में शामिल होकर मुहाजिर हो गयी।
रजनी अजीत सिंह 17.12.2021-
जब अपने करीबी ही विश्वासघात करने लगे तो कुछ समय के लिए आत्म विश्वास डगमगा ही जाता है।
रजनी अजीत सिंह
27.8.2021-
अमीरी गरीबी जात-पात से ऊपर है मित्रता। मेरी सखी की बेटी का बर्थडे पार्टी में मुझे बहुत खुशी मिली।
प्यार इतना बाँटो की रिश्तों के साथ साथ पूरे जगत को अपना बना लो।
अपनों को अपना बनाया तो क्या किया वही कहावत चरित्रार्थ किया कि सूअर भी अपने ढेर सारे छौने को प्यार करती और पालती है।
रजनी अजीत सिंह 5.7.2021-
कहीं डोली उठी कहीं अर्थी उठी उसी तर्ज पर।
आज रिश्तों में एक तरफ डोली उठी और एक तरफ अर्थी और उठ गयी।
मजाक करो पर हंसाने के लिए।
न की जनाज़ा निकल जाये शब्दों के घाव से और बोलों मजाक कर रहा।
रजनी अजीत सिंह 31.2021-
कितना गलती माफ करुं रिस्तों को निभाने वाले रिश्तेदारों नातेदारो।
भगवान कृष्ण भी सौ गलती माफ किये एकसौ एक पर शिशुपाल पर सुदर्शन चक्र चल गया।
आज जिंद रिश्तों में दूसरी बार सुदर्शन चक्र चल गया। अब सम्मान खो कर रिश्तों को नहीं निभाना।
रजनी अजीत सिंह 31.2021-
जिंदगी में अपने नसीब का खेल रहा है।
जिसको भी दिल से चाहा वही शब्दों के घाव दिया।
ऐसा सुना है हथियार के दिये जख्म भर भी जाते हैं शब्दों के घाव नहीं भरते।
जिंदगी में ऐसा कभी न करना दूसरों के नजर में उठने की चाहत में अपने नजर में गिर जाओ।
दोस्तों, भाई बहनों शुक्र है मेरा बचपना नहीं गया नहीं तो शब्दों के जख्म से मर ही जाते।
रजनी अजीत सिंह 31.7.2021
शुभ रात्रि
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चाँद सी जोड़ी चमकती रहे।
आजीवन इस जोड़ी पर प्यार की बारिश होती रहे।
प्रेम का ओ फूल खिले जिसके खुशी के एहसास से
भाई - भाभी के रिश्तों में एक नयी बहार आती रहें।
इस हार्दिक इच्छा के साथ
शुभरात्रि 😊😊
इंतजार खत्म 😂😂-