कभी कभी ये जीवन आपके सब्र की परीक्षा लेता है आपको ऐसी उलझनों मे उलझा देता है जहाँ से निकलने का कोई रास्ता नहीं होता हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा पसरा होता हैं आप बेबस होते है लाचार होते है बस अपने दुःख को अपने अंदर ही दबाए हुए इस प्रतीक्षा मे होते है कहीं से एक रौशनी की किरण आपको आपके इस घुटन से मुक्त करने आएगी...💔🥀
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दिल मिले ना मिले नाम मिल जाता है.
ये शायरी, ये कहानियाँ... दरअसल अकेलापन है...
जिसे इन्हें लिखने वाला अपने जैसे अकेले लोगों के साथ बाँटता है..❤️-
प्रेम में जब चूमे जाते हैं एक स्त्री के अधर
तब वह प्रेमिका हो जाती है....
माथा चूमते ही बन जाती है वह किसी की व्याहता....
और पैर चूमते ही उत्थापित हो
कहलाती है देवी.....
अधरों से पैरों तक के सफर में ही परख लिए जाते हैं ज्यादातर पुरुष.....-
कभी जो कविताएं और शायरियां उसे भेजे थे। अब उसके जेंडर चेंज करके अपने पति के साथ फोटो पर कैप्शन दे रही है। और मलाल चाहिए कितनी मोहब्बतें तुझे 2024 में।
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कल एक्स का कॉल आया। एक ही समय अपनी बिटिया को पढ़ा भी रही थीं और हमसे बतिया भी।
अंग्रेजी की ऐसी दुर्दशा मानो लार्ड मैकाले इनके बाऊजी से लोन लेकर भाग गए हों।
तो हम कहे ; नहीं बोल पा रही तो काहे एक्टिंग कर रही? तो बोल रही “अपनी बच्ची से हम अंग्रेजी में ही बतियाते हैं।
बेचारी बच्ची! बेचारी भोजपुरी! बेचारा बिहार ! बेचारी अंग्रेजी!-
अब हिम्मत नहीं बची है...फिर से कुछ नया शुरू करने की...फिर से किसी को अपने बारे में बताने की...अपनी पसंद...नापसंद कुछ भी...कौन सी फिल्में मेरे दिल के करीब हैं...कौन से गाने मैं सोने से पहले सुनता हूँ...मेरी कमियां..मेरे सपने...कुछ भी...!
अब सिर्फ मैं हूँ...मेरा दिमाग है...जो हर पल मेरे दिल को उस ओर जाने से रोकता है जिस ओर मेरे दिल को तमाम खरोचें मिली...!
दिल और दिमाग की इस जंग में...दिमाग हर बार जीत रहा है और दिल हार रहा है...इस वजह से दिल हताश है...मायूस है...परेशान है...लेकिन फायदे की बात ये है कि...अब मेरा दिल ‘मेहफूज़' है...!🖤-
थकान पैरों से उठ कर दिल से आ लिपटी है..
सफ़र भी अब कोई ठिकाना चाहता है....-
सुबह से होनी- अनहोनी का खबर चल रहा था। शारदा सिन्हा मर गईं की बात थी। लोग खंडन प्रस्तुत कर रहे थे। मैंने देखा तो मेरे मन ये भाव यही था की संझा घाट तक शायद माई बुला लेंगी।
अभी लोग कह रहे कि शारदा सिन्हा मर गईं। पर शारदायें कभी मर नहीं सकती। ऐसी सरस्वती की वरद पुत्रियाँ मारने को नहीं आती।
वो तो इस तुच्छ जगह पृथ्वीलोक पर हम जैसे नीच - अधम-पापियों , अभागों का उद्धार करने आती हैं।
आज उनकी माई ने उन्हें वापस अपने पास बुला लिया। हम पापियों के बीच में कितना दिन छोड़ती अपनी बेटी को।
आज किसी बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस के महंगे चेयर पर बैठे डायरेक्टरनुमा शख़्स से लेकर रिक्शेवाले तक की एक लड़ी टूट गई।
छठी माई अपने बेटी के बाल बच्चों का ख्याल रखना 🙏🏼-
किसी किताब के
अलग-अलग पन्नों पर लिखी हुई
प्रेम कविताओं की तरह
तुम और मैं
दो अलग-अलग कवितायें है
प्रेम की,
अलग-अलग लिखे होने पर भी
कविता में
प्रेम का भाव एक सा रहा है...-