"तुम बोलते बहुत हो, कभी मेरी सुन भी लिए करो"
मैंने हमेशा तुमसे कहा है की मैं अगर बोलना बंद कर दूं समझ लेना मर गया मैं.. देखो न अब बिलकुल खामोश हो चुका हूँ..
मैं बिलकुल खामोश हो गया हूँ.. बोलना बहुत पसंद है मुझे, सब कुछ कह देना पसंद है पर कह कर भी क्या फायदा.. अब बस इस खामोशी को अपना मान लिया.. बस खामोशी और मौत की तमन्ना..
आज सिर्फ खामोशी ने मुझे अपने आगोश में ले लिया है.. काश एक दिन मौत भी मुझे ऐसे ही खामोशी से गले लगा ले...
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मुन्तज़िर
एक शब्द ही काफी है सब बयां करने को..
तुम्हें याद है वो किले पर हाथो को पकड़ बैठना,
तुम्हें देख कर पुरी तरह खुश हो जाना,
याद है तुम्हे, जब तुम्हारे बिना कहे मैं सबकुछ समझ जाता था,
या याद है तुम्हारे मांग में भरा वो सिन्दूर,
खैर कोई बात नहीं...
एक दिन हम दोनो अपनी - अपनी चुप्पियों को लेकर मर जाएँगे और हमारा सबसे आख़िरी ख़याल होगा हमें बोलना चाहिए था।
मेरे याद करने पर तुम आए भी तो क्या आए..?
हमे तो देखना था तेरे दिल में हम कहाँ तक हैं..?
झुठ ही कह देते यार कि मोहब्बत है,
सच तो ना मेरा हुआ ना तुम्हारा..-
ज़हन में तू ही तू,
दिल में दर्द का सागर,
नज़रें बस तेरी ओर,
और बस तुझे देखूँ मैं आकर।
चाहता हूँ कहूँ तुझे, ये दर्द अपना,
पर शब्दों में कैसे बयाँ करूँ, ये लम्बा सफर।
ये दूरियाँ बढ़ रही हैं, दिनों दिन,
मन करता है तुझे पा लूँ, बस एक पल के लिए।
छुपा लूँ तुम्हे बाहों में, कह दूँ सारे ग़म,
पर ये हकीकत है, कि तू मुझसे दूर,
और मैं हूँ यहाँ खड़ा अकेला...
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I am with you in every situation...
A very simple line but lots of meaning. Very few people can live up to this. Sometimes just this one sentence can do wonders...-
I really want to say something. A lot of things are coming to my mind together. As if the whole world is in front of me in one moment. I know you will always think wrong about me. But think again,
Have I ever asked for anything from you apart from Love and Your Time..?
I know now you will say that I also did not ask anything from you. Leave all this aside, I can never make you understand me. But take some time to read each and every quotes written here. Each Word will say a lot...-
I always told you that both will be right at the same time for same situation and you always said that its not possible, only one will be right..
Read tha caption before being judgemental...-
तुम्हें पाकर भी कोई,
इतनी मोहब्बत नहीं कर पायेगा,
जितनी मैनें,
बिना पाएं की है तुमसे...❤️
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23 June....
Under the moon's gentle glow, the boy sat by the window, his heart echoing the quiet of the night. The room felt emptier without her laughter, without the warmth of her presence. She was miles away, visiting her maternal uncle, and he missed her more than words could convey.
As the clock's hands danced toward midnight, he picked up his phone, fingers trembling with anticipation. The message he typed was simple, yet it held the weight of longing and affection: *"I'm missing you tonight. The stars seem dimmer without your smile. Let's talk soon—I crave the sound of your voice."* And with a deep breath, he hit send, hoping that across the distance, she'd feel the echo of his love. 💫❤️-
हज़ारों मुकम्मल ख़ुशियों पर.. वो एक अधूरी ख़्वाहिश, हावी क्यूँ है..?
वो जो है दर्द की वजह.. वही 'दवा' भी क्यूँ है..?
जिस'में दर्द बेतहाशा हो.. दिल की आख़िर वही ख़्वाहिशें क्यूँ है..?
मुझ में "मैं" कुछ कम.. तू ज़रा सा ज़्यादा क्यूँ है..?
मुहब्बत इतनी ही आसान है गर.. तो ज़हन में फिर इतने सवाल क्यूँ है..?
इश्क़ इबादत है गर.. तो दिल में ये अजीब सा डर क्यूँ है.. ?
मोहब्बत मरहम है गर.. तो फिर सीने में ये दर्द क्यूँ है..?
बारिश की इन बूँदों में.. महक तुम्हारी ही क्यूँ हैं..?
तुम्हारा होना ही, मेरी साँसों की रफ़्तार क्यूँ हैं..?
तेरा होना ज़िंदगी में, ज़िंदगी के लिए इतना ज़रूरी क्यूँ है..?
वो पलकों पे मेरी, नींद की ख़ुमारी सा छाया क्यूँ है..?
वो तेरी आवाज़ की तलब, हर वक़्त कानों को रहती क्यूँ है..?
लबों पर आकर वो एक बात, ठहरती क्यूँ है..?
वो लम्हा-लम्हा मुझमें, ठहरता क्यूँ है..?
तेरा इश्क़ मेरी आँखों से, बरसता क्यूँ है..?
वो मुझमें इस क़दर, महकता क्यूँ है..?
जवाब सारे है पता तुमको, फिर इतने सवाल क्यूँ है..?
नज़दीकियों के साथ, दरमियाँ ये फ़ासले क्यूँ हैं..?
गर चाहत सिर्फ़ मैं हूँ, तो ज़ुबा पे ज़माने भर का ज़िक्र क्यूँ है..?
ख़्वाहिश तू है गर, तलब तेरी ही क्यूँ है...?? तलब तेरी ही क्यूं है??? तलब तेरी ही क्यूं है ...???
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हाँ, सही सुना तुमने।
मैने तुमसे प्रेम किया है।
शाश्वत प्रेम।
बिल्कुल सच्चा और परिशुद्ध।
मैं केवल चाहता हूँ निहारना
तुम्हारे माथे की वो छोटी सी बिंदिया
जो मुझे सारे संसार का केंद्र बिंदु लगती है।
तुम्हारी वो आंखे
जिनमे जब तुम काजल लगाती हो।
तो लगता है कि
बांध दिया है किसी ने
सफेद आसमान में उपस्थित काले चंद्रमा को।
मैं चाहता हूँ
अपने कंधे पर रखा हुआ तुम्हारा सर।
और कोई एकांत जगह।
और अंत मे
तुम्हारे हाथ मे मेरा हाथ
और दूर कही किसी अंधेरे रास्ते मे
मैं और तुम चलते जाए
और हो जाये सबकी नजरों से ओझल...
❤️❤️-