देख मुझको सजा लेना ख्वाबो में,
भर के रख लेना मुझे इन निगाहों में।
जब नहीं आएगी तुमको मेरी याद,
मुझको पाओगी अपनी इन पनाहों में।
हर जगह हर शह मुझको पाओगी,
गीत रख लबो पर गुनगुनाओगी।
खिल उठेंगी जब कालिया बहारों में,
उनकी खुसबू में मुझको तुम पाओगी।
जब कभी यू मुस्कुराओगी,
हाथ रख दिल पर मुझको ही पाओगी।
मैं ही मैं दिखूंगा जब फिजाओ में,
कसम उल्फत की महक जाओगी।...
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उन्हें देखा,
उन्हें जाना,
उन्हें सोचा,
उन्हें समझा,
ना जाने उनसे कब इश्क़ हुआ
पता ही नहीं चला,
सिलसिला यहीं तक नही थमा
उनसे दोस्ती हुई,
दोस्ती प्यार में बदली,
प्यार इकरार में बदला,
रातो में बाते होने लगीं,
बातो में मुलाकाते होने लगीं,
सब मानो एक ख्वाब सा लग रहा था,
जिन्दगी में हर सक्श अपना लग रहा था......
Continued....
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रिमझिम रिमझिम बारिश में चली
तुम ,
सर्द हवा सी लगती हो...
जिस्म से रूह तक
तुम ,
इश्क़ इबादत लगती हो...
खुले आसमान में
गुम हुआ कोई ,
खुआब अधूरा लगती हो...
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दिल के तार टूटे तो ,
बस तार तार हो गये |
अच्छे थे हम ,
पर इश्क़ में बीमार हो गये |
वो कहते थे ,
बस दूर से ही देखो हमको |
पर हम परवाने थे ,
लौ के शिकार हो गये |
कैसे बयां करें हम ,
ये अपनी अजीब दास्ताँ |
हम दर्द की रातों के ,
एक गुलज़ार हो गये|
उड़ाते थे माखौल हम ,
इश्क़िया कुछ यारों का|
शौक से हम भी अब ,
उनमे शुमार हो गये|
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रास्ता है ये नया,
पर मंजिल है वही..
सफर तो है सही,
पर हमसफर है नही..
मुसाफिर हूँ मैं ,
चला जाऊँगा...
ध्यान रखना अपना,
फिर मिलूँगा यही..-
आज मैं तुमको भुलाए बैठा हूँ
दिल का अफ़साना बनाए बैठा हूँ
जिन आँखों को चूमा था तुमने
आज मैं उनको रूलाए बैठा हूँ
वक़्त की बाज़ी लगाए बैठा हूँ
रूह को अपनी सताए बैठा हूँ
खोके हसीं लम्हों की हँसी को
ख़ुद को दीवाना बनाए बैठा हूँ
नज़र को अपनी लुटाए बैठा हूँ
ज़मीर से अपने क़तराए बैठा हूँ
कैसे ढूंढेगा सुकूं मुझे दुनिया में
ख़ुद अपने को मिटाए बैठा हूँ
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चाँद संग चाँदनी
सूरज संग किरण
उतर आए हैं फलक से
पूछने मेरा हाल..
ठीक हूँ
खुश हूँ
मुस्कुरा रहा हूँ
दुःखी न हो वो
मुझे देख कर..
खुद को
मस्तमौला दिखा रहा हूँ
व्यथा सुन मेरी
अब तुम्ही बताओ क्या करूँ
कलम से उसको
उतार दूँ
या अश्को के जरिये
बहा दूँ
हालत देख मेरी
चाँद सूरज रो पड़े
"सब्र रख सब ठीक होगा" बोलकर
फलक की ओर चल पड़े..
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कितनी शिददत से प्यार करता हूँ तुझे
जता नही सकता
हर पल तुझे याद करता हूँ
बता नही सकता
क्यों दिख जाती हो
रोज एक ख्वाब बन के
क्यों रुलाती हो रोज
एक कसक सी बन के
मैं जानता हूँ
तुम नही हो मेरी
इस बात को मैं
खुद से कहकर समझा नही सकता
दुआओ में भी
तुझ को मंगा करता हूँ
तू सदा खुश रह
बस यही दुआ करता हूँ
ये अधूरा इश्क़ मुकम्बल हो नही सकेगा
मुझसा कोई और तुझे चाह नही सकेगा
जिंदगी के इन पन्नो पर तुझे
कोई उतार नही सकेगा
मुलाकात करवा देना उनसे भी
जो हमारी तरह तुम्हें चाह नही सकेगा
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आज मैंने एक ये भी काम कर दिया
दिल मैंने अपना तेरे नाम कर दिया
जो प्यार अब तक था दफ़न सीने में
धड़कनों ने इसे सरेआम कर दिया
मोहब्बत सिखाई थी तुमने मुझको
और
लोगों ने यूँ ही मुझे बदनाम कर दिया
अगर चाहा है तुमने मुझे पूरी शिद्दत से
तो
मैंने भी तुम पर खुद को कुर्बान कर दिया-
समय मिले तो मिल लेना
कुछ नही बोलेंगे होठो से
बातें होंगी आँखों से
जज्बात निकलेंगे अश्को से
गुमनाम सख्सियत होगी मेरी
पहचान लेना तू इन लफ़्ज़ों से
हाथो में हाथ रख देना अपना
और मुस्कुरा देना तू होठो से
सामने तुझे देखकर
इन पलकों को भी ना झपकयंगे
संसार होगा सामने
बस उसमें डूब जायँगे
जो शिकायते होंगी तुझसे
उनको भी भूल जायँगे
समय मिले तो मिल लेना
दर्द ऐ हाल तेरे सामने बयाँ ना कर पायंगे
इश्क़ की इंतहा में
बस जलते यू ही जायँगे
चाहतो की रंजिशों में
एक दिन तुझ पर फ़ना हो जायँगे-