तुम्हीं से तो उम्मीद थी मेरी तुम्ही से तो नाता था,
मैं शाम सवेरे मिलने राम तुम्ही से तो आता था।
तुझ तक ही तो सीमित थी मेरी ये छोटी सी दुनिया,
तुम्ही से रूठा करता था तुम्ही को मनाने आता था।।
आज शाम हुआ है कुछ ऐसा की राम मेरा मुझसे रूठा ,
जो पास मेरे बैठा करता जो साथ बैठ कर खाता था।।
आज ना आया तू मिलने ना आज मेरी तुमसे बात हुई,
एक वक्त था मेरे राम प्रिय ना तू मेरे बिन रह पाता था
ना मैं तेरे बिन रह पाता था।
एक चींटी भी काट लेती तो आकर मैं तुमसे कह देता था,
तू गया, मौत आई, मैं चुप रहा, तू था तब तक मैं जिंदा था।
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