अब नहीं गिड़गिड़ाएंगे हम कभी रिश्तों की सलामती के लिए। गमों के दौर में भी मुस्कराते रहेंगे, चाहने वालों की खुशी के लिए।। -
अब नहीं गिड़गिड़ाएंगे हम कभी रिश्तों की सलामती के लिए। गमों के दौर में भी मुस्कराते रहेंगे, चाहने वालों की खुशी के लिए।।
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आंखों ही आंखों में हुई बात और मुलाकातें उससे। खाबोँ में हुई गुफ्तगू मगर वो भी आंखों ही आंखों में।। -
आंखों ही आंखों में हुई बात और मुलाकातें उससे। खाबोँ में हुई गुफ्तगू मगर वो भी आंखों ही आंखों में।।
महफिलें अच्छी लगती नहीं।शोर से बेचैन होता है दिल।।भीड़ में खोने का खौफ है मुझको।इसलिए सन्नाटा अच्छा लगता है।। -
महफिलें अच्छी लगती नहीं।शोर से बेचैन होता है दिल।।भीड़ में खोने का खौफ है मुझको।इसलिए सन्नाटा अच्छा लगता है।।
नफरत, हिकारत और दुश्मनी की फिक्र छोड़।इस सारे तानेबाने में मगर बाकी है जहां में प्यार।।हाँ गुस्सा, नाराजगी और मायूसी भी है यहां, लेकिननजरिए को बदलकर देख तो कम नहीं जहां में प्यार।। -
नफरत, हिकारत और दुश्मनी की फिक्र छोड़।इस सारे तानेबाने में मगर बाकी है जहां में प्यार।।हाँ गुस्सा, नाराजगी और मायूसी भी है यहां, लेकिननजरिए को बदलकर देख तो कम नहीं जहां में प्यार।।
शिकायतें बहुत थी, मगर कभी न कर सका। मुहब्बत के खेल में, उसे रुसवा न कर सका।।अटखेलियों में वो चलती चाल पर चाल मगरनादान था मैं उसकी चालें नहीं समझ सका।। -
शिकायतें बहुत थी, मगर कभी न कर सका। मुहब्बत के खेल में, उसे रुसवा न कर सका।।अटखेलियों में वो चलती चाल पर चाल मगरनादान था मैं उसकी चालें नहीं समझ सका।।
आदमी सियासी नहीं हूं, मेरे किए में कहां मक्कारी मिलेगी।मेरी नीव में जाओगे मेरी तो मेहनती की सुबह शाम मिलेगी।।रंज नहीं मुझे तन्हा छोड़कर जाने वालों का मुझे।फिक्र है उन्हें अब कहां ऐसी वफादारी मिलेगी।। -
आदमी सियासी नहीं हूं, मेरे किए में कहां मक्कारी मिलेगी।मेरी नीव में जाओगे मेरी तो मेहनती की सुबह शाम मिलेगी।।रंज नहीं मुझे तन्हा छोड़कर जाने वालों का मुझे।फिक्र है उन्हें अब कहां ऐसी वफादारी मिलेगी।।
तेरे होने न होने के कोई मायने नहीं होंगे।जब महफिल में दौलतमंदों के चर्चे होंगे।।तेरे हिस्से में सिर्फ हार और तन्हाई होगी।दौलत की महफिल में जो रिश्तों के चर्चे होंगे।। -
तेरे होने न होने के कोई मायने नहीं होंगे।जब महफिल में दौलतमंदों के चर्चे होंगे।।तेरे हिस्से में सिर्फ हार और तन्हाई होगी।दौलत की महफिल में जो रिश्तों के चर्चे होंगे।।
मैं जीतने के हुनर के साथ, हारने की अहमियत जानता हूं।जीत के लिए स्वाभिमान संग,झुक जाने की अदा जानता हूं।।मैं जिंदा हूं लाश नहीं!इसीलिए मौके की नजाकत जानता हूं।। -
मैं जीतने के हुनर के साथ, हारने की अहमियत जानता हूं।जीत के लिए स्वाभिमान संग,झुक जाने की अदा जानता हूं।।मैं जिंदा हूं लाश नहीं!इसीलिए मौके की नजाकत जानता हूं।।
हर काम अधूरा छोड़ दिया।सबसे नाता अब तोड़ दिया।।दिन रात मेरे अब एक से हैं।जब से तूने तन्हा छोड़ दिया।।तन्हाई में गुमसुम रहता हूं अब।नाराज होना भी मैने छोड़ दिया।।हर वादा रखकर ताक पे मैने।यारो अब जीना छोड़ दिया।। -
हर काम अधूरा छोड़ दिया।सबसे नाता अब तोड़ दिया।।दिन रात मेरे अब एक से हैं।जब से तूने तन्हा छोड़ दिया।।तन्हाई में गुमसुम रहता हूं अब।नाराज होना भी मैने छोड़ दिया।।हर वादा रखकर ताक पे मैने।यारो अब जीना छोड़ दिया।।
तेरी मौजूदगी ने सिखाया है मुझे जिंदगी जीना।तेरे होने ने जिंदगी से इश्क के लिए उकसाया है।।मैं तो जिंदगी की ओर से लापरवाह रहा उम्रभर।तेरी बातों ने जिंदगी से इश्क करना सिखाया है।। -
तेरी मौजूदगी ने सिखाया है मुझे जिंदगी जीना।तेरे होने ने जिंदगी से इश्क के लिए उकसाया है।।मैं तो जिंदगी की ओर से लापरवाह रहा उम्रभर।तेरी बातों ने जिंदगी से इश्क करना सिखाया है।।