मेंरे खत में लिखावट के साथ देखेगी नमी।
तो खत को चूम कर वो देर तलक रोएगी।।
मेरे खत की लिखावट को भूल जाएगी वो, लेकिन।
मुझे याद करेगी जब, तो हर बार आंखों भिगोएगी।।-
बस उनकी संजीदगी ने लापरवाह कर दिया।।
तुम्हारी बेफिक्री मुझे अक्सर रुलाती हैं।
कभी तुम तो कभी ये तन्हाई सताती है।।
तन्हा जब भी रहता हूं तो तेरी यादें रुलाती हैं।
तुम साथ होती हो तो तुम्हारी बातें सताती हैं।।-
भरोसा टूटने का ज़र्ब इंसान की जीने ही नहीं देता।
मगर उसके लौट आने कि यक़ीन मरने नहीं देता।।
उसके रूठने का दर्द मुझे अब को सोने नहीं देता।
और ख़ाबों में मिलने का भ्रम उठने भी नहीं देता।।-
वो तेरे बदन की खुशबू अभी तक है मेरी सांसों में।
तेरी धड़कन की धुन अब तक बसी है मेरे कानों में।।
तू कहती है तुझे में भूल जाऊं, हो जाऊं किसी और का।
ये कैसे मुमकिन है जब तेरी सूरत बसी है मेरी आंखों में।।-
उनसे मिली जो नज़र तो ये सिलसिले हुए।
जिस्म मेरा रहा और दिल जिगर उनके हुए।।
वो उतरे हैं दिल में जिस दिन से।
मेरे ख़्वाब भी उनके राजदार हुए।।
बहुत बेदर्द हैं सिलसिले मुहब्बत के।
लापरवाह भी अब फिक्रमंद हो गए।।-
बातों की तपिश हमें तुमसे दूर नहीं होने देगी।
और दुनियां ये जालिम हमें मिलने नहीं देगी।।
इस रिश्ते का नाम पूछेंगे जालिम जमाने वाले।
और हमारी मजबूरी हमें कुछ कहने नहीं देगी।।-
आगाज से पहले अंजाम सोचना जरूरी है।
रिश्तों के कारोबार में एहतियात जरूरी है।।
रिश्तों की कामयाबी के लिए फिक्र भी जरूरी है।
और इस में कारोबार दो तरफा व्यवहार जरूरी है।।-
दुआ है! सूने घरों की देहरियां फिर चराग़ां हों।
खामोश गांवों में गलियों में चहलकदमियां हों।।
मायूस न हों इन खाली पड़े घरों में बुढ़ापा।
घरों के आंगन में बच्चों की किलकारियां हों।।-
गरीबी सो रही पत्थर पर चादर तान कर यारों।
अमीरी बदलती है करवट रेशम के लिहाफों में।।-