बेहतर से बेहतर की तलास में
चला जाता है इंसान शमसान में
बस अब रोज़गार चलाता है
पथर के भगवान में
था जो कोई राम
अब वो जलक नहीं मिलती किसी इंसान में
कोई फ़र्क़ नहीं है कल के बीते रावण में
और आज के इंसान में
बेहतर से बेहतर की तलास में
सब को जाना है शमसान में
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तुम मिले दिल खिले ओर जीने को किया चाहिए
ना हो तू उदास उ... read more
की वो संगिनी होगी उसकी
क़िस्मत होगी जिसकी
कोई डोली उटा ले जायेगा परदेसी बाबू उसकी
हमारी तमन्ना है जिसकी
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तुम जैसे रहो तुम वैसे रहो
तुम चाँद हो चाँद जैसे रहो
तुम नटकट कान्हा तुम मरियादित राम हो
फिर तुम चाहे वैसे रहो
तुम रोशन सवेरा मेरा
तुम ही ढलती शाम हो
फिर रात चाहे वैसे रहो
तुम जैसे रहो तुम वैसे रहो
तुम चाँद हो चाँद जैसे रहो-
किसी के आज़मा इस से या किसी कि खवाई से नही चलती ज़िंदगी
किसी एक फूल से नही खिलती ये ज़िंदगी
हँस कर जी लो वो आख़री पल जो अभी जिया
दुबारा मिलती नही ये ज़िंदगी-
कोई खुशनसीब हे तो
कोई बदनसीबी के चक्कर काट रहा हे
यह मझब कि केसी लड़ाई हे
कोई नफ़रत तो
कोई प्यार बाट रहा हे
कोई गाय काट रहा हे तो
कोई प्रसाद बाट रहा हे
कब समझेंगे ये लोग
यह देश प्रेम उसका हे जो
-50 डिग्री में देश रक्षा के लिए
आधी रात काट रहा हे-
हमारी दो आत्माओ की एसी दोस्ती रहे
मेरी पलक जपके ओर तू मुझे देखती रहे
इतर में लगाव ओर तू महकती रहे-
मीनक जमारो देखियो
देखिया तरकस में तीर
जल ही जीवन हे पर
समय पलटी मारे ज़द
प्राण ले लेवे नीर-
खुद को तराज़ू में कभी तोल ही नही पाए हम
अपने मन को सीमित पिठारे में बंद रखा
कभी खोल ही नही पाए हम
वो शख़्स कितना प्यारा लगता हे हमें
कभी बोल ही नही पाए हम-
तमन्नाओं को आग लगेगी
तभी तो रोशन सवेरा होगा
आज नही तो कल
कही ना कही तो बसेरा होगा
ओर जिनको पाने की तमन्ना हे
मेरी
आज नही तो कल वो मेरा होगा-
कुछ फ़ेसले जो अपने थे
कुछ फ़ेसले जो सपने थे
दूर नही थी
सपनो की मंज़िल
राह में काँटे आये
वो जो कुछ अपने थे-